बिहार में राजद की सरकार को केवल कुशासन के लिए याद किया जाता है। उसकी यह छवि इतनी गहरी है कि इससे मुक्ति संभव नहीं है। चारा घोटाला जगजाहिर है। पशुओं का चारा भी घोटाले की भेंट चढ़ जाता था। गरीबों तक योजनाएं पहुंचती नहीं थी। सरकारी धन के मामले में भारी अनियमितता थी। इस प्रवत्ति पर नरेंद्र मोदी ने बिहार की एक कहावत सुनाई- अनकर धन पाईं,त नौ मन तौलाईं।
स्वार्थ का भाव ये कि जब दूसरे का पैसा है,तो जितना चाहे खरीदो,क्या फर्क पड़ता है। जब जनता का पैसा है,तो जितना चाहे लूटो। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का परिदृश्य बिहार में भी है। इसमें राहुल गांधी दोनों परिदृश्यों में समान है। साथ वाले में बदलाव हुआ है। यूपी में उनके साथ अखिलेश यादव थे,बिहार में उनकी जगह पर तेजस्वी यादव है। इसके अलावा नारा भी बदला है। तब नारा बुलंद हो रहा था कि यूपी को यह साथ पसन्द है। इस नारे से बिहार में तौबा किया गया। क्योंकि उत्तर प्रदेश में साथ विफल हुआ था। फिर भी साथ तो बिहार में भी है।
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव चुनावी मंचों पर साथ साथ नजर आ रहे है। इस प्रकार यह साथ भी बिहार की चुनावी चर्चा में आ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साथ पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि आज बिहार में एक तरफ डबल इंजन की सरकार है,तो दूसरी तरफ डबल डबल युवराज हैं।
कुछ साल पहले उत्तर प्रदेश चुनाव में जो हाल डबल डबल युवराज का हुआ था,वही हाल बिहार में भी डबल युवराज और जंगलराज के युवराज का होगा। विपक्ष के रूप में भी कांग्रेस व राजद की भूमिका नकारात्मक रही है। जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद तीन सौ सत्तर को समाप्त करने, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति आरक्षण,नागरिकता संशोधन कानून पर इन विपक्षी पार्टियों ने झूठ बोलकर भ्रम एवं नकारात्मकता फैलाने का काम किया था।
इन्हीं लोगों ने भगवान राम के अस्तित्व पर ही सवाल उठाया था। यूपीए सरकार ने राम सेतु तोड़ने की योजना बना ली थी। इसके लिए श्री राम को काल्पनिक तक बताने का अपराध किया गया। जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण में अंतिम समय तक अड़चनें लगाई जा रही थी। यही कारण है कि बिहार के लोगों ने जंगल राज और डबल युवराज को नकारा रहा है। मोदी ने बिहार में प्रचलित कहावत का उल्लेख किया। कहा- सब कुछ खैनी दु गो भुजा न चबैनी।
आज एनडीए के विरोध में खड़े लोग बिहार को लालच की निगाह से देख रहे हैं। आज बिहार में रंगबाजी और रंगदारी हार रही है। विकास जीत रहा है। बिहार में घोटाला हार रहा है। और लोगों का हक़ जीत रहा है। आज देश में एक तरफ लोकतंत्र के लिए पूर्ण रूप से समर्पित एनडीए है तो वहीं दूसरी तरफ अपने निहित स्वार्थ को समर्पित पारिवारिक गठबंधन हैं।
राजद के जंगलराज ने बिहार के सामर्थ्य के साथ विश्वासघात किया था। उस समय बिहार के गरीब को अपनी मर्जी की सरकार बनाने का अधिकार ही नहीं था। राजद के समय चुनाव का मतलब चारो तरफ हिंसा,हत्याएं,बूथ कैप्चरिंग था। तब मतदान नहीं होता था, मत छीन लिया जाता था। वोट की लूट होती थी। गरीब के हक की लूट होती थी। बिहार में गरीब को सही मायनों में मतदान का अधिकार एनडीए ने दिया है। राजद व कांग्रेस इसीलिए परेशान है।