उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ सैकेट्री से तीन सप्ताह में अपना व्यक्तिगत शपथपत्र पेश करने को कहा है।देहरादून की एक संस्था ने हाईकोर्ट में राजस्व पुलिस व्यवस्था समाप्त करने को लेकर एक जनहित याचिका दायर की।
याचिकाकर्ता ने कहा कि अगर राज्य सरकार ने अदालत के आदेश का पालन किया होता तो अंकिता भंडारी मर्डर केस की जांच में इतनी देरी नहीं होती। ऐसे में राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त किया जाए।
याचिकाकर्ता का कहना है कि उच्च न्यायालय ने 13 जनवरी 2018 को सरकार को निर्देश दिए थे।मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे की खण्डपीठ ने शपथपत्र में यह बताने को कहा है कि 2018 में उच्च न्यायलय के आदेशों का क्या हुआ ? जनहित याचिका में कहा गया है कि
आज के आधुनिक युग में जहाँ सामान्य पुलिस विभाग में पूरे देश में एक राज्य से दूसरे राज्य में पीड़ित जीरो एफ.आई.आर.दर्ज कराकर अपनी शिकायत पंजीकृत करा सकता है। वहीं ऋषिकेश शहर से मात्र 15 कि.मी. की दूरी पर राजस्व पुलिस जिसके पास पुलिस के आधुनिक हथियार तथा जांच हेतु किसी भी प्रकार का प्रशिक्षण प्राप्त नहीं है, वे जॉच कर रहे है। यह जानकर अत्यन्त ही पीड़ा होती है।