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ज्ञानवापी मस्जिद के गुंबद पर पहुंची एएसआई की टीम, गुंबद की नाप-जोख की 

वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद का एएसआई सर्वे का आज 6वां दिन है। सुबह लगभग 8 बजे से एएसआई टीम ज्ञानवापी के अलग-अलग हिस्सों का सर्वे कर रही है। आज मंगलवार को भी कल सोमवार की तरह ज्ञानवापी के गुंबद पर एएसआई की टीम नजर आई। गुंबद के एक हिस्से को टीम का सदस्य इंची-टेप से नापता हुआ नजर आया।

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बताते चलें कि यह सर्वे बेहद साइंटिफिक तरीके से किया जा रहा है। इससे पहले एएसआई के एक्सपर्ट ने मशीनों का प्रयोग कर ज्ञानवापी के तीनों गुंबद की 3Dइमेजिंग और मैपिंग की थी।डिजिटल नक्‍शा तैयार कर मस्जिद की छत की भी गहराई से जांच की थी। बरहाल ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (GPR) से सर्वे शुरू नहीं हो सका है।एएसआई के सर्वे के बीच हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष की ओर से अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं।

ज्ञानवापी मस्जिद के गुंबद पर पहुंची एएसआई की टीम, गुंबद की नाप-जोख की 

जहां हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि तहखाने के अंदर खंभों पर हिंदू धर्म से जुड़ी तमाम कलाकृतियां मिली हैं तो वहीं मुस्लिम पक्ष ने सर्वे को लेकर लीक हो रही खबरों पर नाराजगी व्यक्त की है। बीते दिनों मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के वकील अखलाक अहमद ने दावा किया कि सर्वे के दौरान मस्जिद में दिख रहा त्रिशूल का चिन्ह वास्तव में त्रिशूल का चिन्ह नहीं है बल्कि अल्लाह लिखा हुआ है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मस्जिद के गुंबद के नीचे शंक्वाकार आकृति या शिखर नुमा आकृति मिली है। इसके सवाल के जवाब में अखलाक अहमद ने बताया कि दुनिया में जितने भी बड़े गुंबद होते हैं, वह दो हिस्सों में ही बनते हैं। अगर ऐसी बनावट नहीं होगी तो हवा क्रॉस होने की जगह ना होने के चलते वह गुंबद गिर जाएंगे।

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अखलाक अहमद ने कहा कि मुगलकालीन सिक्कों पर भी स्वास्तिक और ओम की आकृति उकेरी जाती थी। इसलिए यह कह देना कि कमल का फूल सिर्फ मंदिरों पर ही बना हुआ मिलेगा यह गलत है। फूल तो कोई भी बना सकता है,उसका मंदिर या इस्लाम से कोई मतलब नहीं है।

इससे पहले ज्ञानवापी के मुख्य इमाम और जनरल सेक्रेटरी मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने दावा किया था कि सर्वे की जो तस्वीरें सामने आ रही हैं वो ज्ञानवापी की नहीं हैं। इमाम ने कहा था कि जो हिन्दू प्रतीक चिन्ह ज्ञानवापी परिसर में दिखाई दे रहे हैं वो हिन्दू मुस्लिम साझा संस्कृति के प्रतीक हैं, जिन्हें औरंगजेब ने मस्जिद में बनवाया था। उन्होंने यह भी कहा कि हम हर जुम्मे को वहां नमाज पढ़ाने जाते हैं, लेकिन हमको अभी तक वहां ऐसा कोई निशान नहीं दिखा तो हम यह कैसे मान लें कि वह (हिंदू पक्ष) सही कह रहे हैं।

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