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अथर्व के दिल में था छेद, आरबीएसके से मिला नया जीवन

• 29 एमएम के छेद की हुई हार्ट सर्जरी

• आपके बच्चे के दिल में छेद है तो घबराएं नहीं, आरबीएसके के तहत बच्चों की हो रही निशुल्क हार्ट सर्जरी

कानपुर। कल्याणपुर ब्लॉक के पनकी क्षेत्र के रहने वाले सुशांत गुप्ता एक इंश्योरेंस कंपनी में कार्यरत हैं और बताते हैं कि उनके 6 वर्षीय बच्चे अथर्व को बचपन से ही दिल में छेद था पर उनको यह जानकारी नहीं थी। डेढ़ साल की उम्र में जब अथर्व दौड़ता था तो सांस फूलने लगती थी। चिकित्सक को दिखाने पर पता चला की अथर्व के दिल में 8 एमएम का छेद है पर पांच से छह साल के बाद ही इसकी सर्जरी मुमकिन है।

छह साल बाद जब उन्होंने कार्डियोलॉजी में दिखाया तब दिल का छेद 29 एमएम का हो चुका था पर सर्जरी का खर्चा सुनकर तो जैसे उनके पैरों तले जमीन ही खिसक गयी। चार से पाँच लाख का खर्च उठाना उनके लिये नामुमकिन था। फिर आशा के माध्यम से उन्होंने सीएचसी कल्याणपुर से संपर्क किया और वहाँ पता चला की अथर्व के दिल का निःशुल्क इलाज आरबीएसके योजना के तहत हो जाएगा।

अथर्व के दिल में था छेद आरबीएसके से मिला नया जीवन

सुशांत बताते हैं कि अथर्व को पहले सीएचसी कल्याणपुर बुला कर जांच की गयी और फिर डीईआईसी मैनेजर अजीत सिंह के स्तर से कागजी कार्यवाही पूरी करने के बाद हरयाणा स्थित सत्य साईं संजीवनी चिल्ड्रन हार्ट हॉस्पिटल, पलवल भेजा गया। उन्होंने बताया की इस कार्य में आरबीएसके की पूरी टीम ने विशेष सहयोग और मार्गदर्शन किया। हॉस्पिटल में अथर्व को इसी साल 23 जून को भर्ती किया गया और 25 जून को सर्जरी हुई। सुशांत ने बताया की अथर्व अब पूरी तरह से स्वस्थ है। उन्होने सीएमओ, एसीएमओ सहित आरबीएसके टीम को धन्यवाद व आभार व्यक्त किया।

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मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ आलोक रंजन का कहना है की जन्मजात दोषों में जन्मजात हृदय रोग हृदय का एक गंभीर जन्मजात दोष है। सामान्यतः इसके उपचार में चार से पाँच लाख रुपये का खर्च लगता है, जो कि आरबीएसके योजना केअंतर्गत निःशुल्क किया जाता है। आरबीएसके के अंतर्गत जनपद में ग्रामीण क्षेत्रों में 20 टीमें कार्यरत हैं जो प्रत्येक गाँव में विजिट कर जन्मजात दोषों की पहचान करती हैं एवं उनके उपचार के लिए प्रयासकरती है।

आरबीएसके के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ सुबोध प्रकाश ने बताया कि जन्मजात हृदय रोग में प्रायः बच्चों में सबसे सामान्य लक्षण दिखते है जैसे हाथ, पैर,जीभ का नीला पड़ जाना, ठीक तरह से सांस न ले पाना और माँ का दूध ठीक तरह से नहीं पी पाना एवंखेल-कूद में जल्दी थक जाना। डॉ सुबोध बताते है कि परिवार के लिए प्लानिंग करने से पहले और गर्भावस्था में महिला की ओर से आयरन फोलिक एसिड का सेवन न करने से पैदा होने वाले शिशु में इस जन्मजात विकृति की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए आशा और एएनएम की मदद से किशोरावस्था से ही इन गोलियों की सेवन शुरू कर देना चाहिए।

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डीईआईसी मैनेजर अजीत सिंह का कहना है की जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत अप्रैल 2023 से अब तक कुल चार बच्चों की निशुल्क हार्ट सर्जरी करवाई जा चुकी है। उन्होनें बताया कि सरकार के इस कार्यक्रम के तहत सरकारी स्कूलों, मदरसों एवं आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजिकृत जन्म से 19 वर्ष तक के लोगों का इलाज नि:शुल्क करवाया जाता है। न्यूरल ट्यूब, कटे होंठ और तालू, क्लबफुट, कूल्हे का विकासात्मक डिसप्लेसिया, जन्मजात हृदय रोग, जन्मजात बहरापन, जन्मजात मोतियाबिंद सहित 40 तरह की गंभीर बीमारियों का उपचार योजना के अंतर्गत मुफ्त में किया जाता है।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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