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‘न्यायपालिका की आजादी पर हमला बर्दाश्त नहीं’, खुफिया एजेंसियों की दखलअंदाजी के आरोपों पर बोले सीजेपी

पाकिस्तान की न्यायपालिका इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। इस बीच देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेपी) काजी फैज ईसा ने बुधवार को कहा कि न्यायपालिका की आजादी पर किसी भी तरह के हमले को विफल किया जाएगा। उन्होंने इस बात का भी संकेत दिया कि न्यायिक मामलों में खुफिया एजेंसियों की कथित दखलंदाजी की पूर्ण अदालत सुनवाई करेगी।

उच्च न्यायालय के छह न्यायाधीशों को मिले धमकी भरे पत्र
दरअसल, मंगलवार को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के छह न्यायाधीशों ने दावा किया कि उन्हें धमकी भरे पत्र मिले और इन पत्रों में मादक पदार्थ भेजा गया था। इन न्यायाधीशों ने सीजेपी को पत्र लिखा था। शीर्ष अदालत की सात सदस्यीय पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही है। सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश तसादुक हुसैन जिलानी ने खुफिया एजेंसियों की कथित दखलंदाजी की जांच के लिए गठित एक सदस्यीय जांच आयोग की अध्यक्षता से खुद को अलग कर दिया था।

संघीय सरकार ने एक सदस्यीय आयोग को लेकर क्या कहा
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मंसूर अवान ने कहा, सरकार ने पूरी ईमानदारी से मामले की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया था। लेकिन सोशल मीडिया और वकीलों ने उस आयोग की आलोचना की। वह चाहते थे कि अदालत मामले की सुनवाई करे। सीजेपी ईसा ने कहा कि वह अपने संस्थान की आजादी को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा, न्यायाधीशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे खतरे में नहीं हैं।

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