बेहद कठिन परिस्थियों का सामना करते हुए अटल टनल का निर्माण पूरा हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया। जाहिर है कि उनकी सरकार ने इच्छाशक्ति दिखाई। इसी भावना के अनुरूप निर्माण कार्य से संबंधित लोगों ने मेहनत व जज्बे का प्रदर्शन किया। जिसके कारण यह सफलता मिली। नरेंद्र मोदी ने इनका अभिनन्दन किया। बात इस परियोजना के पूर्ण होने की चली तो मोदी को पिछली सरकार की कार्य शैली याद आ गई। उन्होंने उसका भी उल्लेख किया। ये तथ्य कांग्रेस के लिए प्रहार से कम नहीं थे। उन्होंने कई उदाहरण दिए। प्रश्न किया।
लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी के रूप में सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण एयर स्ट्रिप चार दशकों तक बंद रही। क्या मजबूरी थी,क्या दबाव था। क्यों राजनीतिक इच्छाशक्ति नजर नहीं आई। इनका जबाब कांग्रेस देना नहीं चाहेगी। ऐसी दर्जनों लम्बित परियोजनाएं थी। इनमें सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण परियोजनाएं भी थी। लेकिन वर्षों तक नजरअंदाज की गई। असम के डिब्रूगढ़ शहर के पास बोगीबील में ब्रह्मपुत्र नदी पर बने बोगीबील पुल और बिहार में कोसी महासेतु अति महत्वपूर्ण थी। केंद्र में भाजपा के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद इन परियोजाओं की गति में तेजी लाई गई। इनको पूरा किया गया।
सीमा पर युद्ध की स्थिति में सैनिकों को शीघ्र सहायता पहुंचाने हेतु आवश्यक ढांचागत निर्माण में लापरवाही की गई। जबकि चीन ने छह दशक पहले ही यह तैयारी शुरू कर दी थी। अटल टनल की सौगात के साथ मोदी ने हिमाचल के लिए एक अन्य घोषणा की। हमीरपुर में छांछठ मेगावॉट के धौलासिद्ध हाइड्रो प्रोजेक्ट को स्वीकृति दे दी गयी है। इस प्रोजेक्ट से देश को बिजली तो मिलेगी ही, हिमाचल के अनेकों युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। मोदी ने कहा कि किसान सम्मान निधि के तहत देश के लगभग सवा सवा करोड़ किसान परिवारों के खाते में अब तक करीब एक लाख करोड़ रुपये जमा किये जा चुके हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा छह साल में मोदी ने भारत का मस्तिष्क दुनिया में ऊंचा किया है। हिमाचल देवभूमि ही नहीं शौर्य भूमि भी है। रोहतांग टनल शुरू होने के बाद लाहुल पूरी ताकत से आगे बढ़ेगा। अब राशन की कमी नहीं सताएगी। वर्फवारी से पहले भंडारण नहीं करना पड़ेगा। लाहुल से व्यापार अब मनाली तक नही देशभर में होगा।
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री