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एटोपिक डर्मेटाईटिस से करें बचाव

एटोपिक डर्मेटाईटिस छोटे बच्चों में होने वाली बिमारियों में प्रमुख है। इस बिमारी में बच्चों के त्वचा में सुजन, खुजली होती है साथ ही त्वचा की उपरी परत फट जाती है तथा त्वचा का रंग लाल हो जाता है जिससे सफेद पानी जैसा तरल पदार्थ निकलता है। बच्चों में यह घुटने के पीछे, कोहनी, गाल आदि को काफी प्रभावित करती है तथा वयस्क में हाथ, पैर सबसे अधिक प्रभावित होता है। खुजली की वजह से संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है। एटोपिक डर्मेटाईटिस का प्रमुख कारण अज्ञात है परंतु माना जाता है कि आनुवांषिक, प्रतिरक्षा प्रणाली के कमजोर होने के कारण, प्र्यावरण के कारण जोखिम बढ जाता है। शुष्क जलवायु में रहने वाले एटोपिक डर्मेटाईटिस से ज्यादा परेषान होते हैं।
Pathophysiology :- 
एटोपिक डर्मेटाईटिस का कारण पूरी तरह ज्ञात नहीं हो सका है। परंतु, त्वचा के बनावट तथा प्रतिरोधक क्षमता में किसी तरह की खराबी एटोपिक डर्मेटाईटिस में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। इसके साथ-साथ पर्यावरण या प्राकृतिक तथा कुछ संक्रमण के तत्व एटोपिक डर्मेटाईटिस में प्रमुख भूमिका बनाते हैं। साथ ही साथ ज् बमसस के कारण त्वचा के प्रतिक्रिया के कारण भी यह दिक्कत आ सकती है।
Epidemiology :-
विगत दषकों में एटोपिक डर्मेटाईटिस के काफी रोगी बढ़े हैं। लगभग 10-20 प्रतिषत बच्चे तथा 1-3 प्रतिषत वयस्क में यह बिमारी देखने को मिल रही है। लगभग 45 प्रतिषत 6 माह तक की अवस्था में 60 प्रतिषत एक वर्ष तक की अवस्था तक तथा 85 प्रतिषत 5 वर्ष की अवस्था तक के बच्चे एटोपिक डर्मेटाईटिस से ग्रसित होते हैं।
कारण:-
आनुवांशिकरू- कई रोगियों में एटोपिक डर्मेटाइटिस का पारिवारिक इतिहास रहता है। जिसके कारण हम कह सकते है कि यह आनुवांषिक कारक भी होते है जो इस रोग को प्रभावित करते हैै।
स्वच्छता:- वैसे लोग जो कम सफाई रखते हैं या पसीना ज्यादा आता है उनमें एटोपिक डर्मेटाइटिस होने की सम्भावना ज्यादा रहती है। वैसे लोग जो पालतु जानवरों के सम्पर्क में रहते है तथा उनकी साफ सफाई कम रखते है उनमे भी एटोपिक डर्मेटाइटिस का खतरा बढ़ जाता है।
लक्षण:-
त्वचा में खुजली,त्वचा खुष्क होना केहुनी, घुटना, आदि पर लक्षण आना, गालों पर, माथे पर लक्षण आना।
शिशुओं में लक्षण ( 0-2 वर्ष में ):-
शुष्क त्वचा ( केहुनी, घुटना कलाई,चेहरे पर (माथे पर, गाल, ठुडी) ,सिर में। त्वचा का लाल होना त्वचा में खुजली, फटी त्वचा, खोपड़ी या गालों पर उभरे दाने जिसमें से पानी जैसा द्रव निकलता है।
बच्चों में लक्षण ( 2 वर्ष से वयस्क )रू-
कोहनी, घुटनों में या दानों में दाने, दाने के जगह पर त्वचा में उभरे पैच, हल्के या ज्यादा गहरे रंग का चकत्ता, चमड़े की त्वचा का मोटा होना, गर्दन , चेहरे पर तथा विषेष रूप से आंखों के आसपास चकते का उभरना।
बचाव:-
रोज स्नान करें, स्नान के बाद माॅषचराइजर का प्रयोग करें ।खराब साबून का प्रयोग नही करें । हल्के डिटर्जेट का प्रयोग करें अत्यधिक पसीना से बचे। इत्र, गहने, प्लास्टिक के जूते, चप्पल,रबर के जूते चप्पल का प्रयोग कम करें । ज्यादा देर गीले कपडों में नहीं रहे । सूती कपडों का प्रयोग अधिक करे, एलर्जी वाले खाद्य पदार्थ से दूर रहे । पराग कण धूल, धूये से बचे ,पानी वाला काम ज्यादा हो तो दस्तानों का प्रयोग करे । ज्यादा गर्म पानी से स्नान नहीं करे, खरोच या प्रभावित जगह को रगडे नही । तापमान या नमी में अचानक परिवर्तन से बचे । कटहल, बैगन, कद्दू, अरबी का सेवन नहीं करें,कपूर न लगाये ।
 डाॅ. प्रवीण पाठक,बी.एच.एम.एस.,एम.डी.

 

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