जौहर यूनिवर्सिटी ने नियमों की अनदेखी करते हुए करीब 70 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन खरीदी थी, जबकि अनुमति सिर्फ 12.5 एकड़ जमीन खरीदने की थी. एडीएम कोर्ट ने जौहर ट्रस्ट को नियमों का पालन ना करने का दोषी मानते हुए फैसला सुनाया है. सरकारी वकील अजय तिवारी ने बताया कि अब तहसील के अभिलेखों में ये भूमि आजम खान की जौहर ट्रस्ट से काटकर प्रदेश सरकार के नाम पर दर्ज की जाएगी.

रामपुर के सांसद आजम खान ने एसपी सरकार के दौरान सैकड़ों बीघा जमीन जौहर ट्रस्ट के नाम पर ली थी. यह मामला एडीएम कोर्ट में चल रहा था. आरोप लगे थे कि अनुमति की कई शर्तों का उल्लंघन किया गया है. प्रशासन की ओर से जौहर ट्रस्ट को आवंटित जमीनों की जांच एसडीएम सदर से कराई गई थी. आरोप है कि एसपी शासन के दौरान जौहर ट्रस्ट को जमीन देते वक्त स्टांप शुल्क में इस शर्त पर मावऊी दी गई थी कि जमीन पर चैरिटेबिल कार्य होंगे.

जांच रिपोर्ट के अनुसार जौहर ट्रस्ट की इस जमीन पर जौहर विश्वविद्यालय का काम चल रहा है, लेकिन लेकिन पिछले दस सालों में चैरिटी का कोई कार्य न होने की बात भी सामने आई है. जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि ट्रस्ट को एक सीमा के तहत ही जमीन आवंटित की जा सकती है, लेकिन इस मामले में नियम-कायदों का उल्लंघन किया गया.

तत्कालीन एसडीएम सदर ने जौहर ट्रस्ट मामले में जांच की थी. इस पर एडीएम कोर्ट में वाद दायर कराया गया था. एडीएम जेपी गुप्ता की कोर्ट ने शनिवार को अपना फैसला सुनाया है.