कोरोनिल दवा पर सफाई देने के लिए योग गुरु बाबा रामदेव ने आज हरिद्वार में एक प्रेस कांफ्रेंस कर अपना पक्ष सबके सामने रखा। मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोनिल के क्लीनिकल ट्रायल का डेटा हमने आयुष मंत्रालय को भेजा, आयुष मंत्रालय के सारे अप्रूवल लिए गए। हमने सभी पैरमीटर फॉलो किए। एफआईआर करो, देशद्रोही कह लो या आतंकी कह लो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
बाबा रामदेव ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि हिन्दुस्तान के अंदर योग आयुर्वेद का काम करना एक गुनाह है। सैकड़ों जगह एफआईआर दर्ज हो गईं, जैसे किसी देशद्रोही और आतंकवादी के खिलाफ दर्ज होती हैं। हमने कोरोना की दवा पर अच्छी पहल की है। लेकिन लोग हमें गाली दे रहे हैं। लेकिन कम से कम उन लोगों के साथ हमदर्दी रखो, जो कोरोना वायरस से पीड़ित हैं और जिन लाखों-करोड़ों बीमार लोगों का पतंजलि ने इलाज किया है।
उन्होंने कहा कि दवा बनाकर क्या मैंने कोई गुनाह कर दिया। अगर सत्कार नहीं कर सकते तो तिरस्कार तो मत कीजिए। लोगों ने सोशल मीडिया पर यह बात भी फैला दिया कि सात दिनों में बाबा जेल जाएंगे। जाति और धर्म को लेकर भी टिप्पणियां की गईं। हमने कोरोनिल दवा से जुड़ी पूरी रिसर्च आयुष मंत्रालय को दी थी जिसको भी देखना है वो देख सकता है।
बाबा ने कहा, हमने एक कोरोना के बारे में क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल का डाटा सामने रखा तो तूफान उठ गया। उन ड्रग माफिया, मल्टीनेशनल कंपनियों, भारतीय और भारतीयता विरोधी ताकतों की जड़ें हिल गईं। उनको लगता है कि कोट-टाई पहनने वाले रिसर्च करते हैं, भगवा व लंगोट वाले ने कैसे रिसर्च कर ली। मैं पूछता हूं कि क्या उन लोगों ने ठेका ले रखा है। हमने योग और रिसर्च पर दस हजार करोड़ का ढांचा बनाया है। जैसे देशद्रोही और आतंकवादियों के खिलाफ एफआईआर होती है। वैसे ही हमारे खिलाफ भी की जा रही है। ये मानसिकता हमे कहां लेकर जाएगी हम दोनों 35 वर्षो से साथ काम कर रहे है। दोनों सामान्य परिवार से आये इसलिये लोगो को मिर्ची लगती है। पिछले तीन दशकों में करोड़ो लोगो को निरोगी किया है योग सिखाया है। जब अब मंत्रालय ने भी कहा कि क्लीनिकल ट्रायल किया गया तो लोग तीन दिन में ठीक हो गए, सब अप्रूवल भी हमने सम्मिट कर दिए हैं। अब जबकि सारे अप्रूवल लेकर अभी कोरोना के ऊपर ट्रायल हुआ है।
बाबा रामदेव ने कहा, आयुर्वेद दवाइयों को बनाने का यूनानी और आयुर्वेद डिपार्टमेंट से लाइसेंस लिया है। ये आयुष मंत्रालय से संबंधित होता है। आयुर्वेद में सभी दवाइयों का रजिस्ट्रेशन उनके परंपरागत गुणों के आधार पर होता है। कोई भी औषधि का अनुसंधान है, क्लिनिकल कंट्रोल ट्रायल है, उसका प्रोटोकोल आयुर्वेद तय नहीं करता है। इसलिए इस दवा का आयुर्वेदिक ड्रग लाइसेंस परंपरागत गुणों के आधार पर लिया गया है। उन्होंने कहा, मने मॉडर्न साइंस के प्रोटोकॉल के तहत रिसर्च की है। कोरोनिल में गिलोय, अश्वगंधा और तुलसी का संतुलित मात्रा में मिश्रण है।