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जिले में आई फर्जी पत्रकारों की बाढ़, रहें सावधान!

• परेशान न हों शंका हो तो करें शिकायत

• अधिकारियों की जी हुजूरी में रहते है ये फर्जी कथित पत्रकार

• अपराधिक गतिविधियों में शामिल कथित पत्रकार

•आलाधिकारियों के ऑफिस के पास लगाते हैं दरबार

• पत्रकार संगठनों में भी शामिल

रायबरेली। जिले में फर्जी पत्रकारों के गैग ने सक्रिय रुप ले रखा है। अगर आप तनिक भी चुके तो नुकसान भी हो सकता है। यह गैंग सुबह से लेकर शाम तक जिले के आला अधिकारियों की जी हुजूरी में लगा रहता है। साथ ही इन कार्यालयों में चक्कर काटने वाले पीड़ितों को भी यह गलत फहमी भी हो जाती है की यह लोग ही पत्रकार हैं। अक्सर लोग इनकी जद में फस जाते हैं जो भी फसा उसका कल्याण ये लोग कुछ दिनों में कर ही देते है। आपको यह पत्रकार बड़े अधिकारियों के ऑफिस के आस पास या एसपी ऑफिस के पास मडराते नजर आ जायेंगे। इस में कुछ अपराधी प्रवृत्ति के लोग भी शामिल हो गए हैं जिनकी हिस्ट्री शीट तक निकाली जा सकती है वह भी पत्रकारिता की खाल ओढ़ कर अधिकारियों को गुमराह करने में लगे हैं। जल्द ही जिम्मेदारों ने इस पर ध्यान नही दिया तो और भी बुरा दौर शुरु हो सकता है।

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एक दौर था जब पत्रकार ने अपनी लेखनी के जरिए समाजिक हित में बड़े आंदोलनों को जन्म दिया व समाज ने पत्रकार को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना, लेकिन आज स्थितियां लगातार बदल रही हैं। पत्रकारिता पर व्यवसायिकता हावी हो गई है, जिस कारण पत्रकारिता के स्तर में लगातार गिरावट आ रही है। निजी फायदे के लिए सोशल मीडिया पर फेक न्यूज भेजने का चलन बढ़ा है, जिसका सीधा असर समाज पर पड़ रहा है व समाज में पत्रकार की छवि धूमिल हो रही है। एकस्वर में पत्रकारिता के सिद्धातों का पालन करते हुए पत्रकारिता के मूल स्वरूप को बनाये रखने पर जोर दिया। साथ ही समाज की कठिन समस्याओं पर भी अपनी लेखनी के माध्यम से सरकारों को चेताने की बात कही गयी है, ताकि मानव जीवन के लिए कठिन होती जा रही समस्याओं का समय रहते ही निराकरण हो सके।

किसी भी इमारत या ढांचे को खड़ा करने के लिए चार स्तंभों की आवश्यकता होती है उसी प्रकार लोकतंत्र रूपी इमारत में विधायिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका को लोकतंत्र के तीन प्रमुख स्तम्भ माना जाता है जिनमें चौथे स्तम्भ के रूप में मीडिया को शामिल किया गया है| किसी देश में स्वतंत्र व निष्पक्ष मीडिया उतनी ही आवश्यक व महत्वपूर्ण है जितना लोकतंत्र के अन्य स्तम्भ इस प्रकार पत्रकार समाज का चौथा स्तम्भ होता है जिसपर मीडिया का पूरा का पूरा ढांचा खड़ा होता है जो नीव का कार्य करता है यदि उसी को भ्रष्टाचार व असत्य रूपी घुन लग जाए तो मीडिया रूपी स्तम्भ को गिरने से बचाने व लोकतंत्र रूपी इमारत को गिरने से बचाने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

एक समय था जब एक पत्रकार की कलम में वो ताक़त थी कि उसकी कलम से लिखा गया एक-एक शब्द देश की राजधानी में बैठे नेता, राजनेता, व अधिकारियों की कुर्सी को हिला देता था, पत्रकारिता ने हमारे देश की आज़ादी में अहम् भूमिका निभाई, देश जब गुलाम था तब अंग्रेजी हुकूमत के पाँव उखाड़ने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से अनेक समाचार पत्र, पत्रिकाओं का सम्पादन शुरू किया गया| इन्ही समाचार-पत्र पत्रिकाओं ने देश को बाँधने व एकजुट करने में महती भूमिका निभाई थी,अपने शुरुआत के दिनों में पत्रकारिता एक मिशन के रूप में जन्मी थी जिसका उद्देश्य सामाजिक चेतना को और अधिक जागरूक करना था महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, पं० नेहरु, गणेश शंकर विद्यार्थी, आदि महान स्वतंत्रता सेनानियों व महान हस्तियों ने अखबारों को अपनी लड़ाई का एक महत्वपूर्ण हथियार बनाया था दरअसल उनमे एक जूनून था उन्हें कोई डिगा नहीं सकता था,इन्ही के नक़्शे क़दम पर चलने वाले आज भी ऐसे पत्रकार हैं जो पूंजीपति, सरकार, सामाजिक दीवारों व बंधनों को फांद कर अपने उद्देश्यों की पूर्ति अब भी करते हैं उन्होंने अपना जीवन पत्रकारिता को ही समर्पित कर रखा है।

वहीँ आज कुछ तथाकथित पत्रकारों ने मीडिया को ग्लैमर की दुनिया और कमाई का साधन बना रखा है अपनी धाक जमाने व गाड़ी पर प्रेस लिखाने के अलावा इन्हें पत्रकारिता या किसी से कुछ लेना देना नहीं होता क्यूंकि सिर्फ प्रेस ही काफी है गाड़ी पर नम्बर की ज़रूरत नहीं, किसी कागज़ की ज़रूरत नहीं, हेलमेट की ज़रूरत नहीं मानो सारे नियम व क़ानून इनके लिए शून्य हो क्यूंकि सभी इनसे डरते जो हैं चाहे नेता हो, अधिकारी हो, कर्मचारी हो, पुलिस हो, अस्पताल हो सभी जगह बस इनकी धाक ही धाक रहती है, इतना ही नहीं अवैध कारोबारियों व अन्य भ्रष्टाचारी अधिकारियों, कर्मचारियों आदि लोगों से धन उगाही कर व हफ्ता वसूल कर अपनी जेबों को भर कर ऐश-ओ-आराम की ज़िन्दगी जीना पसंद करते हैं।खुद भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं, और भ्रष्टाचार को मिटाने का ढिंढोरा समाज के सामने पीटते हैं मानो यही सच्चे पत्रकार हो सभी लोग इनके डर से आतंकित रहते हैं कुछ तथाकथित पत्रकार तो यहाँ तक हद करते हैं कि सच्चे, ईमानदार और अपने कार्य के लिए समर्पित रहने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को सुकून से उनका काम भी नहीं करने देते ऐसे ही लोग जनता में सच्चे पत्रकारों की छवि को धूमिल कर रहे है।

ये हैं पत्रकारिता के प्रमुख रूप

खोजी पत्रकारिता
खेल पत्रकारिता
महिला पत्रकारिता
बाल-पत्रकारिता
आर्थिक पत्रकारिता

पत्रकारिता के अन्य रूप

फर्जी पत्रकारों की कैसे करें शिकायत

इस तरह के मामलों में आप सबसे पहले अखबार या टीवी चैनल के ऑफिस में पत्र लिखकर, फोन द्वारा या मिलकर इस बात की शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

अगर वहां बात न बने तो प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (अखबारों के लिए) या टीवी चैनलों से जुड़ी हुई है तो न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (एनबीएसए) में अपनी शिकायत कर सकते हैं।

क्या है प्रेस कानून

इस कानून के अनुसार जो कोई या तो बोले गए या पढ़े जाने के आशय से शब्दों या संकेतो द्वारा किसी व्यक्ति के बारे में इस हादसे से लांछन लगता है तथा ऐसे लांछन से व्यक्ति की ख्याति की हानि होगी तो वह मानहानि का दावा कर सकता है। दावा साबित होने पर दोषी को 2 वर्ष की साधारण कैद या जुर्माना या दोनों सजा दी जा सकती है।

पत्रकारिता का उद्देश्य

पत्रकारिता का कार्य है सूचना देना, घटना के पीछे छिपे कारणों की – तालाश करना, घटना के प्रति लोगों को जागृत करना, घटना के पक्ष या विपक्ष में लोगों को जागरूक करना, जनता की रूचि निर्माण करना और उन्हें दिशा देना।

पत्रकारिता का मूल कर्तव्य

वस्तुतः पत्रकारिता का प्रथम व प्रमुख कर्तव्य अन्याय का उद्घाटन करना, विसंगतियों का सुधार करना, परामर्श देना, समाज का मार्गदर्शन करना तथा व्यक्ति , परिवार ,समाज व राष्ट्र का बहुआयामी उत्थान करना होता है।पत्रकार तीन तरह के होते हैं-पूर्णकालिक, अंशकालिक और फ्रीलांसर यानी स्वतंत्र।

क्या हैं पत्रकार के आवश्यक गुण

एक अच्छे पत्रकार में मनोवैज्ञानिक, वकील, कुशल लेखक, वक्ता और गुप्तचर के गुणों का समावेश होना चाहिए। तभी वह एक घटना में समाचार का बोध कर उसे जनता के समक्ष ला पाता है।

इसके अतिरिक्त उसे दूरदर्शी भी होना चाहिए, तभी वह यह समझ पाएगा कि किस खबर का लोगों, समाज और देश पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

अच्छी पत्रकारिता का करे पालन

मानहानि से बचने के लिए आप वही कहें जो आप जानते हैं और जो आप साबित कर सकते हैं। अपने शोध और अन्य दस्तावेजों का रिकॉर्ड रखें। रिकॉर्ड रखने के लिए ऑडियो या वीडियो की भी ज़रूरत है ।

पत्रकारिता के 5 प्रकार

प्रत्येक पत्रकारिता रूप और शैली विभिन्न तकनीकों का उपयोग करती है और विभिन्न उद्देश्यों और दर्शकों के लिए लिखती है। पत्रकारिता के पांच प्रमुख प्रकार हैं खोजी, समाचार, समीक्षा, कॉलम और फीचर लेखन ।

क्या हैं पत्रकारिता के सिद्धांत

पत्रकारों की शिक्षा और प्रशिक्षण और उपयोगी अनुसंधान के प्रकाशन के प्रावधान द्वारा सत्य और सटीकता, स्वतंत्रता, निष्पक्षता और निष्पक्षता, मानवता और जवाबदेही के सिद्धांतों के आधार पर पत्रकारिता में उच्च नैतिक मानकों को सार्वजनिक लाभ के लिए बढ़ावा देना। ये ही इस इसके प्रमुख सिद्धांत हैं।

यह है पीत पत्रकारिता का दौर

पीत पत्रकारिता उसको कहते हैं जिसमें सही समाचारों की उपेक्षा करके सनसनी फैलाने वाले समाचार या ध्यान-खींचने वाले शीर्षकों का बहुतायत में प्रयोग किया जाता है। इसे समाचारपत्रों की बिक्री बढ़ाने का घटिया तरीका माना जाता है। अब इसका ही दौर शुरु है।

रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्र

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