भजनपुरा निवासी लाल किला फेम राष्ट्री कवि व वरिष्ठ समाजसेवी भुवनेश सिंघल ने भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पर तीन मांगे ( 3 Demands )सरकार के सामने रखी हैं। उनका कहना है कि अटल जी उनके प्रेरणाश्रोत रहे हैं और अटल जी से वो अनेक बार मिले हैं।
3 Demands : भावुक होते हुए सिंघल ने बताया
प्रथम बार वर्ष 1996 में उनकी मुलाकात हुई थी और अंतिम बार हाल ही में कुछ दिन पहले 16 अक्टूबर 2017 को उनके कृष्ण मेनन मार्ग स्थित निवास पर उनसे भेंट हुई थी। इस भेंट में उन्होने अटल जी को अपने हाथों से सम्मानित किया था जिसमें उन्होनें अटल जी को समर्पित करते हुए विगत चार वर्षों से उनके संयोजन में किए जा रहे राष्ट्र स्तरीय ‘अटल सम्मान समारोह’ का एक प्रतीक चिन्ह भेंट कर व एक शाॅल पहनाकर उन्हें सम्मानित किया था। उस क्षण को याद कर भावुक होते हुए सिंघल ने बताया कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्होनें इस दौरान काफी समय अटल जी के साथ बिताया था और उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया था तथा काफी देर तक उनके माथे और सिर पर हाथ रखकर सहलाया था।
सिंघल ने कहा कि उस दौरान उन्होनें स्नेह के उस स्पर्श का एहसास किया था जो अच्छे-अच्छों के लिए दुर्लभ था और शायद ही किसी ने विगत के दसक में इस प्रकार से उनकी निकटता हासिल की होगी। मगर उस क्षण को याद कर सजल आंखों से वो ये भी कहते हैं कि उन्हें नहीं पता था कि ये उनके द्वारा अटल जी को दिया गया ये सम्मान अंतिम सम्मान होगा, उन्हें नहीं पता था कि ये मुलाकात उनकी अंतिम मुलाकात होगी।
सिंघल ने यह भी कहा कि उन्होनें सदा ही अटल जी को अपना प्रेरणाश्रोत माना है और उनके आदर्श राजनीतिक जीवन से लेकर आदर्श पत्रकारिता तक और आदर्श वक्ता से लेकर आदर्श कवि-साहित्यकार तक के हर रूप से वो अत्यंत प्रभावित रहे जिसकी छाप उनके जीवन पर गहरे तक दिखाई देती है। अब जब वो चले गए हैं तो उनपर किए जा रहे ‘अटल सम्मान समारोह’ को और भव्य बनाने की उनकी जिम्मेदारी बढ़ गई है।
अनेक नामचीन व योग्य हस्तियों को करें सम्मानित
हांलाकि उनका कहना था कि सरकार चाहे तो इस अटल सम्मान समारोह में किसी प्रकार से मदद कर सके तो इस सम्मान को वो और भी आगे ले जा सकते हैं क्योंकि विगत 4 वर्षों से हो रहा यह सम्मान समारोह अटल जी को समर्पित देशभर का इतना बड़ा इकलौता आयोजन है जो संसद भवन जैसे स्थान पर आयोजित किया जा रहा है और जिसमें देश की अनेक नामचीन व योग्य हस्तियों को सम्मानित किया जा चुका है। वहीं इस अवसर पर सिंघल ने यह भी बताया कि विगत दिनों अटल जी पर 22 अगस्त 2018 को उनके संयोजन में ‘अटल सम्मान समारोह’ वैभव वेलफेयर सोसाइटी द्वारा की गई ‘अटल स्मृति’ श्रृद्धाजंलि सभा में उन्होनें कहा कि सरकार यदि अटल जी को सच्ची श्रद्धांजलि देना चाहती है तो उनकी तीन मांगों को मानकर अटल जी के प्रति अपनी श्रद्धा को प्रकट कर सकती है।
सिंघल की माननीय प्रधानमंत्री से पहली मांग है कि अटल जी के जन्मदिवस 25 दिसम्बर को ‘अटल जयंती’ के रूप में अटल दिवस घोषित किया जाए।
एक भव्य ‘अटल घाट’ बनाया जाए
उनकी दूसरी मांग के रूप में हरिद्वार में अटल जी की अस्थियां विसर्जित करने के चलते वहां कहीं भी एक भव्य ‘अटल घाट’ बनाया जाए ताकि वहां पहुंचने वाले देशी-विदेशी सैलानियों के हृदय तक अटल जी का नाम निरंन्तर पहुचंता रहे। तीसरी मांग यह है कि उनके द्वारा हर वर्ष सफलता पूर्वक किए जा रहे ‘अटल सम्मान समारोह’ की तर्ज पर केन्द सरकार को, राज्य सरकारों को, विभिन्न सरकारी अकादमियों आदि को हर वर्ष देश के कुछ चुनिंदा पत्रकारों, कवि-साहित्यकारों व समाजसवियों आदि को सम्मानित किया जाना चाहिए, उनके नाम पर पुरूस्कार देने की घोषणा करनी चाहिए।
सिंघल ने बताया कि इस श्रद्धांजलि सभा के दौरान बड़ी संख्या में उपस्थित लोगों ने उनकी मांग का समर्थन किया और सभी ने अपने हस्ताक्षर किए हैं जिसे वो प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंप चुके हैं तथा उन्होनें महामहिम राष्ट्रपति, दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल, सांसद व दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, हिन्दी अकादमी दिल्ली के सचिव जीतराम भट्ट, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत व मध्य प्रदेश के शिवराज सिंह चैहान को पत्र लिखकर अपनी मांगे रखी हैं।