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मोटे अनाज के बड़े फायदे- शशि सिंह

अपने भोजन में मोटे अनाज को शामिल करें। मोटे अनाज में मक्का, रागी, ज्वार, बाजरा, जौ, कोदो, सामा आदि आते हैं। इन अनाजों में पोषक तत्वों की भरमार होती है। मोटे अनाज बढ़ती उम्र वाले बच्चों, ज्यादा शारीरिक मेहनत करने वाले कामगारों तथा बूढ़े लोगों के लिए जरूरी है।

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खुशी की बात है कि लोग अब फिर से मोटे अनाजों मे दिलचस्पी ले रहे हैं, पुराने समय में मोटे अनाज से अनेको पकवान बनाये जाते थे,जैसे दलिया, खिचड़ी, चीला,मिठाइयां आदि, तथा मोटे अनाज को पैदा करने के लिए कम मेहनत और कम पानी की भी जरूरत होती है। आइये अब कुछ मोटे अनाजों के गुणों के बारे में जानते हैं।

मोटे अनाज

रागी मुख्यतः भारतीय मूल का अनाज है। इसमें कैल्शियम की मात्रा अन्य अनाजों की अपेक्षा ज्यादा होती है। कैल्शियम हमारी हड्डियों को मजबूत रखने तथा मांसपेशियों को ताकतवर बनाने में मदद करता है।

रागी में लौह तत्व भी अच्छी मात्रा में पाया जाता है, जो रक्त का मुख्य घटक है। रागी के आटे से हम रोटी, चिल्ला, इडली बना सकते हैं। रागी की खीर भी बनती है। छोटे बच्चों को (विशेषकर दो वर्ष से छोटे) पारंपरिक तौर पर रागी की लप्सी बनाकर खिलाई जाती है। मधुमेह के रोगियों के लिए वह ज्यादा लाभदायक होता है।

मोटे अनाज

बाजरा उत्तर भारत में, विशेषकर ठंड में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें प्रोटीन, लौह तत्व, कैल्शियम,कार्बोहाइड्रेट आदि अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें कुछ मात्रा में कैरोटीन (विटामिन ए) भी पाया जाता है। बाजरे में कुछ अल्प मात्रा में पाइटिक एसिड, पोलीफिनोल, जैसे कुछ पोषण विरोधी तत्व भी होते हैं। बाजरे को पानी में भिगोकर, अंकुरित करके, माल्टिंग की विधि द्वारा इन पोषा विरोधी तत्वों को कम किया जा सकता है।

ज्वार मुख्यतः बच्चों के भोजन में इस्तेमाल किया जाने वाला अनाज है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, लौह तत्व मुख्य रूप से जाए जाते हैं। यह अनाज पाचन में हल्का होता है। पोषक तत्वों से भरपूर इस अनाज को रोटी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

मोटे अनाज

कोदो इसे प्राचीन अन्न भी कहा जाता है। कोदो में कुछ मात्रा में वसा तथा प्रोटीन भी होता है। इसका ‘ग्लाइसेमिक इंडेक्स’ कम होने के कारण मधुमेह के रोगियों को चावल के स्थान पर उपयोग करने के लिए कहा जाता है। इसकी फसल मुख्यतः छत्तीसगढ़ में होती है। वहां के वनवासियों का यह मुख्य भोजन है।

    शशि सिंह (आहार विशेषज्ञ केजीएमयू)

जौ में अन्य अनाजों की अपेक्षा सबसे ज्यादा मात्रा में अल्कोहल पाया जाता है। इस कारण वह एक डाईयूरेटिक है। इसलिए उच्च रक्तचाप वालों के लिए यह लाभदायक होता है। जौ बढ़े हुए कोलेस्टराॅल को कम करने में भी सहायक होता है। इसमें रेशे, एंटी ऑक्सीडेंट,मैग्नीसियम अच्छी मात्रा में होता है। इस कारण कब्ज और मोटापे से परेशानी लोगों को जौ का इस्तेमाल करना चाहिए।

इसका सेवन दलिया, रोटी और खिचड़ी के रूप में किया जाता है। पोषक तत्वों से भरपूर जौ (बार्ले) हमारी शरीर को कई बीमारियों से बचाने का काम करता है. जौ में गेहूं की अपेक्षा अधिक प्रोटीन व फ़ाइबर मौजूद होता है. जिससे वज़न कम करने,डायबिटीज़ कंट्रोल करने, ब्लडप्रेशर को संतुलित करने में मदद मिलती है।

जौ में आठ तरह के अमीनो एसिड पाए जाते हैं। जौ शरीर में इंसुलिन के निर्माण में मदद करते हैं। दिल संबंधित बीमारियों के लिए भी जौ का सेवन फ़ायदेमंद होता है। यह हमारे शरीर में ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स की मात्रा बढ़ाने में मदद करता है। इसमें ख़राब कोलेस्टेरॉल को कम करनेवाले गुण भी पाए जाते हैं। इसके अलावा जौ में आयरन, मैग्नीशियम, पोटैशियम, कैल्शियम जैसे कई महत्वपूर्ण मिनरल्स मौजूद होते हैं। जो हमारी सेहत के लिए ज़रूरी पोषकतत्व होते हैं।

मोटे अनाज

मक्के की रोटी और साबुत भुने मक्के यानी कॉर्न से लगभग सभी लोग वाक़िफ़ होंगे विटामिन ए और फ़ॉलिक एसिड से भरपूर मक्का दिल के मरीजों के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद होता है। इसमें कई तरह के ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स मौजूद होते हैं,जो कैंसर सेल्स से लड़कर हमें सुरक्षित रखने में मदद करते हैं। पके हुए मक्के में ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स की मात्रा 50 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। यह ख़राब कोलेस्टेरॉल को कंट्रोल करता है।

गर्भवती महिलाओं को अपनी डायट में मक्का शामिल करना चाहिए। यह ख़ून की कमी को दूर करके गर्भ में पल रहे बच्चे को सेहतमंद रखने का काम करता है। हालांकि वज़न कम करने की कोशिश में लगे लोगों को इससे परहेज़ करना चाहिए, क्योंकि यह वज़न बढ़ाने में मददगार है। इसमें कार्बोहाइड्रेट व कैलोरी अधिक मात्रा में पाई जाती है।

मोटे अनाज

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