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BJP : हार के बाद भी ले सकती है राहत की सांस!

लखनऊ। यूपी में BJP उपचुनाव भले ही हार गयी हो लेकिन वह अब भी राहत की सांस ले सकती है। उत्तर प्रदेश में लोकसभा सीटों पर हुए उपचुनाव और पिछले दिनों राजस्थान व पश्चिम बंगाल में हुए उपचुनाव ने ईवीएम का मुद्दा पूरी तरह से हवा में उडा दिया है। क्योकि यहां पर भाजपा को तगड़ा झटका लगा और कांग्रेस, सहित अन्य दलों को कामयाबी जिसकी वजह से ईबीएम गडबडी को लेकर किसी भी पार्टी ने कोई शिकायत नहीं की। उत्तर प्रदेश मेे उपचुनाव हारने के बाद भी भाजपा राहत की सांस ले सकती है क्योकि ईवीएम का मुद्दा इस बार कोई नहीं उठायेगा।

छप्पर फाड़ जीत के बाद BJP

पिछले साल यूपी विधानसभा चुनाव में BJP के छप्पर फाड़ जीत के बाद खुद ईवीएम से जीते नेताओं मायावती और अखिलेश यादव ने अपनी हार का ठीकर ईवीएम के माथे फोड़ा था। इन नेताओं ने भविष्य में चुनाव बैलेट से करवाने की मांग चुनाव आयोग से की थी। यह तथ्य दिलचस्प है कि यूपी के साथ उत्तराखण्ड, पंजाब, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव के नतीजे भी घोषित हुए थे। पंजाब में कांग्रेस को इन्हीं ईवीएम मशीनों के मार्फत 77, गोवा में 17 और मणिपुर में 28 सीटें हासिल हुईं। जो बाकी अन्य दलों के मुकाबले सर्वाधिक थी। कांग्रेस ने पंजाब में ही सरकार भी इन्हीं ईवीएम मशीनों की बदौलत बनाई। उत्तराखण्ड में कांग्रेस 11 सीटें जीत सकी। पंजाब में उम्मीद के मुताबिक नतीजे न आने पर आम आदमी पार्टी ने भी ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप लगाये थे।

ईवीएम के इस्तेमाल को चुनौती देने वाली

पिछले साल अप्रैल में ईवीएम के इस्तेमाल को चुनौती देने वाली बीएसपी की याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस जे. चेलमेश्वर और जस्टिस ए. अब्दुल नाजीस की बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा थाकि, जब तक कॉंग्रेस जीत रही थी तब तक ईवीएम मशीन ठीक थी अब हार रही है तो वो खराब हो गयी? सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र और चुनाव आयोग से पूछा था कि क्या इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें टैंपरप्रूफ हैं? यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का तर्क है कि जब एटीएम मशीन हैक हो सकती है तो ईवीएम क्यों नहीं। वो अलग बात है कि इन्हीं ईवीएम मशीनों की बदौलत 2012 में अखिलेश और 2007 में मायावती को यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी।

सपा और उसका साथ दे रही बसपा को कामयाबी

उत्तर प्रदेश में गोरखपुर और फूलपुर में हुए उपचुनाव में सपा और उसका साथ दे रही बसपा को कामयाबी मिली तो वहीं पश्चिम  बंगाल और राजस्थान में कांग्रेस को सफलता हासिल हुई । वहीं बिहार में भी भाजपा जूझती नजर आई तो किसी ने भी ईवीएम गडबडी का मुद्दा नहीं उठााया। उत्तर प्रदेश की दोनो सीटोे पर हुई हार से भाजपा को अपने बगले झाकने पड़ रहे हैं क्योकि गोरखपुर की सीट पर अबतक खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ काबिज थे। तो वहीं फूलपुर सीट पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सासंद थे। इन दोनों सीटों पर हार के बाद भी भाजपा राहत की सांस ले सकती है क्योकि अगर वह ये दोनो सीटे हार जाती तो एक बार ईवीएम का जिन्न फिर से सत्ता के गलियारो में कुलाचे भरता नजर आता।

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