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शराब बिक्री के भरोसे सरकारी खजाना भरने की सोच रही भाजपा सरकार : अखिलेश यादव 

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि मुख्यमंत्री जी की टीम इलेवन की बैठक अब कालिदास मार्ग के बजाय लोक भवन में होने लगी है। लोकभवन से लोकभावना के अनुरूप लोकसम्मान के निर्णय होने चाहिए। लाॅकडाउन, लाॅकडाउन, तीन बार लाॅकडाउन और नतीजा शिफर। लगता है भाजपा सरकार में हर बात के लिए पंक्तिबद्ध रहना होगा। नोटबंदी से शराब की प्राप्ति तक लाइन में खड़े रहना भारतीयों की नीयत हो गई है। क्या इसी तरह भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डालर होगी?

कोरोना वायरस के संक्रमण के शिकार लोगों की संख्या कम नहीं हो रही है। कई दर्जन मौतें हो चुकी हैं। संक्रमित लोगों की संख्या के सही आंकड़े भी नहीं मिल पा रहे हैं। रात को रिपोर्ट निगेटिव, सुबह पाॅजिटिव। आगरा के एसएन मेडिकल कालेज में आई रिपोर्ट मुख्यमंत्री जी के बहुचर्चित आगरा माॅडल का बेहतरीन नमूना है। इसी का प्रधानमंत्री जी ने भी बखान किया था। अभी राज्य में 20 से अधिक संक्रमित जिलों में वेल्टीलेटर तक नहीं है। इसमें लापरवाही करने वालों पर सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।

25 मार्च 2020 से घरों में कैद अल्पवेतन भोगियों, रोज कमाने खाने वालों, नौजवानों और किसानों को भविश्य की दुश्वारियां सोचकर ही पसीना छूट रहा है। सरकारी खजाने की हालत बिगड़ी हुई बताई जाती है। शराब की बिक्री से सरकार राहत पाने की उम्मीद कर रही है। भले ही उसके चाहे जितने दुष्प्रभाव हों। सत्तारूढ़ दल को इस संकट में भी अगले चुनाव की चिंता सता रही है, इसीलिए उसने विपक्ष का सहयोग लेने का कोई सही प्रयास नहीं किया है। विधानसभा का विशेष सत्र भी वह बुला नहीं रही है। भाजपा सरकार अपनी नकारात्मक सोच छोड़ नहीं पा रही है।

हरियाणा के गुरूग्राम में अभी भी उत्तर प्रदेश के हजारों लोग फंसे हैं। अन्य प्रांतों में फंसे उत्तर प्रदेश के श्रमिकों का सही आंकड़ा भी नहीं है। अब दूसरे राज्यों की सरकारों द्वारा यूपी वालों की उपेक्षा किए जाने की शिकायतें मिल रही हैं। अपने उत्तर प्रदेश में भी अब प्रशासन उदासीन हो चला है। महाराष्ट्र से पैदल चलकर कानपुर तक का लम्बा सफर तय करने वाले युवकों के लिए जिला प्रशासन ने कोई इंतजाम नहीं किया। न तो बाहर से आए श्रमिकों की सही ढंग से जांच हो रही है, न उनके रहने-खाने का कोई इंतजाम है।

भाजपा राज में भ्रष्टाचार भी कहां थम रहा है। रेलवे ने यात्रियों से कमाया पैसा प्रधानमंत्री के कोष में दान किया। फिर वही पैसा वसूलने के लिए भूखे प्यासे और जैसे-तैसे अपने घर लौट रहे गरीब श्रमिकों से 50 रूपया सरजार्च लगा किराया लिया जा रहा है। आपदाकाल में भी गरीब का शोषण भाजपा माॅडल है। कामगारों और श्रमिकों के साथ सरकार जो दुव्र्यवहार कर रही है उससे देश के आत्मसम्मान को धक्का लग रहा है। भारतीय सेना ने कोरोना के खिलाफ कार्यरत डाक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ तथा पुलिस बल के सम्मान में अपने विमानों और हेलीकाप्टरों से पुष्प वर्षा कर अभिनन्दनीय काम किया है। इस संकट में कोरोना योद्धाओं का मनोबल बढ़ाए रखना और उनके काम की सराहना करना हम सबका कर्तव्य है।

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