दिल्ली हिंसा में भाजपा नेताओें द्वारा किये गये षड़यंत्रों की गहन जांच होनी चाहिए प्रधानमंत्री को राजधर्म का पालन करना चाहिए वह राजधर्म का पालन करने में विफल हुये है। गृहमंत्री पूरी हिंसा के दौरान मौन धारण किये रहे इससे प्रतीत होता है कि भाजपा नेतृत्व ने अपने दूसरे तीसरे दर्जे के नेताओं को हिंसा प्रायोजित करने के लिए उकसाया।
यह आरोप लगाते हुये राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व शिक्षा मंत्री डाॅ मसूद अहमद ने कहा कि गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी से त्र्रस्त जनता का ध्यान भटकाने के लिए उसके द्वारा हिंसा प्रायोजित की गयी जिसमें दर्जनों भारतीयों को असमय ही अपने जीवन से हाथ धोना पड़ा। नागरिकता संषोंधन अधिनियम आम जन की समस्याओं को छिपाने के लिए उस पर डाली गयी रेड कारपेट है।
डाॅ अहमद ने कहा कि राजनीति में साम्प्रदायिक धु्रवीकरण के लिए भारतीय जनता पार्टी प्रतिदिन नये षड़यंत्रों का अविष्कार कर समाज में नफरत का जहर घोलकर मानवता को शर्मसार करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने दिल्ली हिंसा के पीछे अनुराग ठाकुर, अरूण वर्मा, प्रवेश वर्मा, कपिल मिश्रा जैसे नेताओं के बयानों को जिम्मेंदार ठहराते हुये कहा कि समय रहते यदि उपरोक्त नेताओं के विरूद्व कार्यवाही की गयी होती तो यह स्थिति उत्पन्न नही होती।
यही नहीं दिल्ली में हिंसा होती रही और प्रधानमंत्री व ग्रहमंत्री संयोग व प्रयोग व बटन इतनी तेज दबाना कि करण्ट शाहीनबाग में लगे ऐसे बयानों से साबित होता है कि वह राजधर्म का पालन करने के लिए तैयार ही नहीं है यह स्थिति राष्ट्र व समाज के लिए खतरनाक है।