लखनऊ। रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता रोहित अग्रवाल ने प्रदेश सरकार पर हमलावर होते हुये कहा कि पूरे प्रदेश में कोरोना जैसी भयंकर महामारी विकराल रूप लेती जा रही है, असमय ही लोग काल के गाल में समा रहे हैं लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। वह सिर्फ अपने राजनीतिक स्वार्थ हासिल करने के लिए निरन्तर ध्यान भटकाने वाले फैसले ले रही है। वहीं भाजपा अपने आयोजन धूमधाम से मना रही है और जनता को रामभरोसे छोड़ रखा है। निजी क्षेत्र में टेस्टिंग को सीमित करके असल आकड़ों को छुपाना चाहती है।
उन्होंने कहा कि जहां एक ओर महामारी से हजारो लोगों की मृत्यु हो चुकी है वहीं सरकार की चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरीके से ध्वस्त है प्रदेश में महामारी एक्ट के अन्र्तगत इमरजेंसी घोषित है। जहां अन्य योजनाओं का बजट कोरोना महामारी के मद्देनजर रोक दिया गया है वहीं सरकारी अस्पतालों में टेस्टिंग के नाम पर जनता से 600 रूपये शुल्क वसूला जा रहा है। एक तरफ सरकार कहती है कि टेस्टिंग करवाईये वहीं दूसरी ओर शुल्क लगाकर और निजी क्षेत्र में सीमित टेस्टिंग की बाध्यता लगाकर अपनी जेब भरना चाहती है इस कृत्य से सरकार का दोहरा चरित्र उजागर हो गया है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि शामली में तीन महिलाओं को कोरोनो वैक्सीन के नाम पर एण्टी रैबीज का इंजेक्शन (कुत्ते काटने पर लगने वाली दवा) लगा दिया गया जोकि सरकार की स्वास्थ्य अव्यवस्था को उजागर कर रहा है। आज अस्पतालों में बेड की व्यवस्था उपलब्ध नहीं और मरीज तड़प तड़प कर मरने को मजबूर है स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि शमसान में 36 घण्टे तक लोगों को अन्त्येष्टि के लिए इंतजार करना पड रहा है वहीं सरकार के प्रमुख लोग स्टार प्रचारक बनकर बंगाल सहित अन्य राज्यों चुनाव में व्यस्त है और जनता को इस अव्यवस्था का शिकार होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो सरकार टीकोत्सव मना रही है और सच्चाई यह है कि वैक्सीन की कमी के चलते 7 दिनों में 37 टीकाकरण केन्द्र बंद हो चुके हैं और टीका केन्द्र से लोग हताष होकर लौट रहे हैं।
रोहित अग्रवाल ने सरकार से मांग की कि तत्काल सरकार टेस्टिंग शुल्क को समाप्त किया जाय, अस्पतालों में बेड की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय, डाॅक्टर व नर्सिंग स्टाफ की उपलब्धता सुनिश्चित की जाय जिससे कोरोनो के साथ साथ अन्य बीमारियों का समुचित उपचार हो सके और लोग असमय ही मौत का शिकार न हो। सरकार कोरोना महामारी को आपदा में अवसर की तरह प्रयोग कर रही है और धारा 144 का प्रयोग राजनीतिक दृष्टि से किया जा रहा है।