आज कैंसर की बीमारी विश्व के लिए एक गंभीर समस्या बन चुकी है। इस बीमारी का अभी तक कोई इलाज नहीं ढूंढ पाया है। इससे बचने के लिए जागरूकता ही एकमात्र उपाय है। इसी को ध्यान में रखते हुए विश्व भर में हर साल अक्टूबर में महिलाओं को स्तन कैंसर बारे जागरूक किया जाता है ताकि इस बीमारी की समय पर जांच कर इलाज करवाया जा सके। समूचे भारत में महिलाओं में सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर स्तनों में पाया जाता है जोकि उनकी मौत का मुख्य कारण बनता है। हमारे समाज में कैंसर बारे जागरूकता की कमी, समय पर जांच का न होना, अनपढ़ता, गरीबी कारण बीमारी का आखिरी स्टेज पर पता लगना तथा सही इलाज मुहैया न होने से मौतें भी ज्यादा हो रही हैं।
एक सर्वे के अनुसार समूचे विश्व में औसतन हर 2 मिनट बाद स्तन कैंसर का मरीज पाया जाता है तथा हर 13 मिनट बाद इस कैंसर से मौत हो रही है। 10 में से 1 महिला को उसकी जिन्दगी में स्तन कैंसर होने का खतरा बना रहता है। भारत में इसकी संख्या कम है पर 10,000 आबादी के पीछे 25 महिलाएं स्तन कैंसर से पीड़ित हैं। अगर इस बीमारी की समय पर जांच न हो तथा महिलाओं को इसके प्रति जागरूक न किया गया तो इसकी संख्या 2020 में दोगुना हो सकती है।
माना गया है कि कुछ कारणों से छाती का कैंसर ज्यादा होता है तथा उसको कंट्रोल करने से कैंसर कम हो सकता है। जैसे कि मोटापा, शराब तथा तम्बाकू का सेवन, खुराक, कसरत की कमी, बच्चा न होने के लिए दवाई (कंटरासैपटिव) खाना आदि। कुछ महिलाएं जो अपना दूध बच्चों को नहीं पिलातीं उनमें कैंसर ज्यादा देखा गया है। कुछ परिवारों में बरका जीन की खराबी पुश्तैनी होती है। उनको कैंसर ज्यादा होता है। इस जीन की खून में जांच व लड़कियों की युवा अवस्था में स्तनों की जांच करनी चाहिए।
स्तन कैंसर के लक्षण
- स्तनों में गिल्टी का होना
- निप्पल से पानी या खून का बहना
- चमड़ी का सख्त होना
- जख्म होना
- छाती की चमड़ी में गड्ढे पडना
- निप्पल का स्तनों के अंदर सिंकुडऩा
- दर्द, सूजन, खारिश
- जब कैंसर फैल जाए तो अंडर आर्म या गर्दन में गिलटी का बनना।