बहराईच। जिला अस्पताल में खड़े इन वाहनों को जरा गौर से देखिये वैसे तो इसमें कुछ खास नही दिखाई देता लेकिन इन वाहनों के जरिये मरने वाले मरीजो के साथ दलाली का घिनौना खेल खेला जा रहा है।बकायदा इसमें वाहनों के चालको के इलावा स्वास्थ्य कर्मियों की मिली भगत रहती है। दलालों के साथ मिले स्वास्थ्य कर्मी गम्भीर मरीजो की एक एक साँस तक गिनते है इधर दम टूटा उधर दलाली का खेल स्टार्ट हो जाता है। मरीज के दम तोड़ते ही दलालों को फोन द्वारा सूचित किया जाता है और मरीज के तीमारदारों से कहा जाता है कि मृतक को ले जाने के लिए बाहर खड़ी प्राइवेट गाड़ियों को चालको से सम्पर्क करे।
कर्मचारियों की मिलीभगत:-
अभी हाल में ही शासन द्वारा दो(2) शव ले जाने वाली गाड़ियों की व्यवस्था उपलब्ध कराई गई है जिससे मरीजो का आर्थिक शोषण न हो सके। लेकिन प्राइवेट वाहनों के चालको व् स्वास्थ्य कर्मियों की मिली भगत से शासन को खुले आम धज्जिया उड़ाई ज रही है नियम व् निर्देशों को ताक पर रखकर खुलेआम मृत व्यक्ति के परिजनों से दुगना तीनगुना पैसा वसूलने वालो के इन दलाल प्राइवेट वाहन चालकों के खिलाफ कोई कार्यवाही नही होती है जबकि ये चालक कई वर्षों से कफन घिसौटी का घिनैना खेल खेकले आ रहे है ऐसा नही है कि अस्पताल प्रशासन के संज्ञान में ये मामला है नही पर रूपये के चंद टुकड़ो के आगे अस्पताल कर्मी शासन की मंशा पर पानी फेरते नजर आ रहे है।
बने हुए लापरवाहः-
बताया जाता है कि अस्पताल में एम्बुलेन्स चालक के पद पर तैनात एक व्यक्ति की शह पर सारा खेल खेला जा रहा है और जिमेदार अधिकारी आंख मूंद कर इस घिनौने खेल के समर्थन में लापरवाह बने हये है।
कोतवाली नगर के पुलिस कर्मी भी साल में एक बार दिखावे के लिए इन प्राइवेट गाड़ियों का चालान काट कर खाना पूर्ति कर देते है कहते है।बहराईच प्रशासन द्वारा कठोर कार्यवाही इसलिए नहि हो रही क्योंकि नोटों के चंद टुकड़ो से सबका मुंह बंद कर दिया गया है ।
रिपोर्ट: फराज अन्सारी