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बजट 2022 : आत्मनिर्भर भारत का विज़न, 2047 के भारत का दूरगामी दस्तावेज़

          किशन सनमुखदास भावनानी

महाराष्ट्र। हर साल की तरह इस साल भी आम जनता की अनेक उम्मीदों के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना चौथा बजट पेश किया, तो लोकसभा अध्यक्ष ने पहले ही मुस्कुराते हुए कहा- “वित्तमंत्री जी आज डिजिटल बजट पढ़ रही हैं”। हमें भी बजट का विश्लेषण करने के बाद ऐसा दिखा भी क्योंकि हेडलाइंस क्रिप्टो और डिजिटल करेंसी ने खींची, अनेक टीवी चैनलों पर यही चर्चा दिखी भी। मध्यम वर्गीय परिवारों के हाथ खाली रहे क्योंकि इस साल भी आयकर स्लैब में परिवर्तन नहीं किया गया, जिसकी आम जनता को उम्मीद थी।

क्रिप्टो करेंसी की कमाई पर 30 प्रतिशत टैक्स और आरबीआई इस वित्तीय वर्ष में डिजिटल करेंसी लॉन्च करेगी। मेरा मानना है कि आम जनता का इससे कोई लेना देना नही है। वहीं सहकारी कॉरपोरेट टैक्स में 18 से 15 प्रतिशत, 3 साल में 400 नई वंदे मातरम ट्रेन, कपड़ा और चमड़े पर टैक्स कम, आयकर रिटर्न सुधार अवधि 2 वर्ष तक बढ़ाई गयी। वहीं कृषि संबंधी उपकरण सस्ते कोई गए, 80 लाख नए घर बनाने की घोषणा की गयी, 60 लाख नौकरियों की घोषणा के अलावा, 5G सेवाओं की शुरुवात की गयी।

ये भी कहा गया कि गेमिंग और एनीमेशन इकोनॉमी का हिस्सा बनेंगे साथ ही एमएसएमई को 6 हजार करोड़ और पीएम ई- विद्या प्रोग्राम का दायरा बढ़ाया गया। इसमें अब 12 से बढ़ा कर 200 चैनल कर दिए जाएँगे, जो क्षेत्रीय भाषा में होंगे। इससे बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई में सुविधा होगी। गंगा किनारे ऑर्गेनिक खेती सहित कुछ घोषणाएं की गयीं जो भारत को एक नई दिशा देंगी। मेरे आँकलन से सार यही निकलता है कि 90 मिनट के बजट भाषण में यह बजट 5 राज्यों में चुनावी बजट नहीं दिखा। मध्यम वर्गीय परिवारों की झोली हमेशा की तरह खाली रही। अर्थव्यवस्था का डिजिटल करेंसी क्रिप्टो करेंसी के सहारे विशाल करने की कोशिश की गई है।

बात अगर हम मध्यमवर्ग की करें, जिसमें नौकरी पेशा और व्यवसायी व्यापारी शामिल हैं, जो 8 वर्षों से आयकर स्लैब में बदलाव की आस में बैठे हैं। बजट 2022 से उन्हें बहुत उम्मीद थी क्योंकि कोविड महामारी ने इस मध्यम वर्गीय परिवार को तगड़ा झटका दिया है। उनका व्यापार, व्यवसाय, नौकरियों पर विपरीत प्रभाव पड़ा है, मध्यम वर्ग राहत की आस में था। वित्त मंत्री ने बजट पेश करने के दौरान बताया, कि आखिर मध्यमवर्ग को टेक्स की राहत क्यों नहीं दी है? उन्होंने महाभारत के शांति पर्व के अध्याय 72 के श्लोक 11 को पढ़ते हुए अपनी बात समझाई।

उन्होंने कहा-

दापयित्वाकरंधर्म्यंराष्ट्रंनित्यंयथाविधि।अशेषान्कल्पयेद्राजायोगक्षेमानतन्द्रितः॥११॥

यानी कि, ‘राजा को किसी भी प्रकार की ढिलाई न करते हुए और धर्म के अनुरूप करों का संग्रहण करने के साथ-साथ, राज धर्म के अनुसार शासन करके लोगों के योगक्षेम (कल्याण) के लिए अवश्य व्यवस्थाएं करनी चाहिए।”

निर्मला सीतारमण ने कहा, अपने प्राचीन ग्रंथों से ज्ञान और मार्गदर्शन प्राप्त करते हुए हमने प्रगति के पथ पर चलना जारी रखा है। इस बजट के प्रस्तावों का उद्देश्य स्थिर और जानी-पहचानी कर व्यवस्था की हमारी घोषित नीति पर कायम रहते हुए, ऐसे और अधिक सुधारों को लाना है जो एक ‘विश्वसनीय कर व्यवस्था’ स्थापित करने की हमारी संकल्पना को आगे बढ़ा सकें। यह कर प्रणाली को और भी अधिक सरल बनाएगा, करदाताओं को स्वैच्छिक अनुपालन के लिए प्रोत्साहित करेगा, और मुकदमेबाज़ी को कम करेगा।

बात अगर हम करें बजट के बुनियादी ढाँचे, निवेश, विनिवेश, विकास और नौकरियों के अवसरों की, तो यह बजट दूरगामी परिणामों की बुनियाद साबित होगा। ऐसा इसलिए, क्योंकि हमारा आधारभूत उद्देश्य हमारे विज़न आत्मनिर्भर भारत, विज़न 2047 के लक्ष्य को देखते हुए यह अमृतकाल का समावेशी सर्वस्पर्शी बजट साबित होगा। हालाँकि, यह तात्कालिक समय में आश्वस्त करता है लेकिन, इसके दूरगामी प्रभाव जरूर होंगे। अब अगर हम बात करें बजट 2022 के संबंध में वित्त राज्य मंत्री के बयान की, तो उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री का केंद्रीय बजट वर्ष 2022-23 का  देश के अमृतकाल का बजट है।

यह बजट समावेशी, सर्वस्पर्शी और जन-जन का बजट है। यह बजट एक तरफ कोरोना के कठिन काल के बावजूद, देश की अर्थव्यवस्था को दिशा और गति देता है, तो वहीं दूसरी ओर आजादी केअमृतकाल यानी 75 वें वर्ष से लेकर आजादी के 100वें वर्ष तक का ब्लूप्रिंट भी प्रस्तुत करता है। यह बजट तात्कालिक रूप से आश्वस्त करने वाला मगर साथ ही दूरगामी विज़न प्रदान करने वाला दस्तावेज है। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के देशवासियों के सपने को साकार करने की दिशा में यह बजट एक बड़ा कदम है। रक्षा के क्षेत्र में भारत में रक्षा उत्पादन के लिए लागत में दस फीसदी की बढोतरी से हम तेजी के साथ रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर होंगे।

इसलिए, अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि बजट 2022 विज़न आत्मनिर्भर भारत विज़न 2047 का दूरगामी दस्तावेज़ है। इस बजट में हेडलाइंस क्रिप्टो और डिजिटल करेंसी ने खीचीं है, जबकि, मध्यम वर्ग को आयकर स्लैब की स्थिरता से निराशा हाथ आई एवं यह बजट आजादी के 100 वें वर्ष के ब्लूप्रिंट की दस्तक है, जिसके दूरगामी सकारात्मक प्रभाव होने का मज़बूत आधार दस्तावेज़ है।

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