गोरखपुर. शहर के पूर्वी छोर पर स्थित कुसम्ही के घने जंगलो में बुढ़िया मातामंदिर का महात्म्य दूर-दूर से भक्तो को खींच लाता है। इस जंगल में बुढ़िया माता के बारे में कई किंवदंतिया प्रचलित है। मान्यता है कि मां अपने भक्तो की तमाम मनोकामनाएं पूरी करती है और हर संकट से उन्हें बचाती है। सच्चे भक्तो को अलग-अलग रूपो में मां दर्शन देती है और उन्हे सही रास्ता भी दिखाती है सफेंद बाल,सफेद साड़ी,और हाथ में छड़ी लिये मां का स्वरूप निराला है। यह भक्तो को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर लेती है। इस जंगल में मां के दो मंदिर है प्राचीन मंदिर तक जाने के लिए पोखरे को नांव से पार करना पड़ता है।दूर-दूर तक साखू व सागौन के पेड़ो की लम्बी कतारो के बीच बुढ़िया माता मंदिर का दृश्य अत्यंत मनोरम दिखता है। बहुत से परिवार यहां अपने बच्चो का मुंडन,जनेऊ संस्कार कराने के लिए भी आते है।
मंदिर में विवाह और परिवार के अन्य संस्कारों को संपन्न करना काफी शुभ माना जाता है। बुढ़िया माता के मंदिर में भक्तो की सुरक्षा के लिए पीएसी की दो बटालियन २४ घंटे ड्यूटी पर तैनात रहती है तथा नवरात्री के दिनों मे अतिरिक्त पुलिस बल भी लगाया जाता है। पूर्वजो का मानना है कि इस दरबार का पुजारी जलती कोयले पर नंगे पांव नवरात्र में चल कर पूजा करते है।
संकलन: रंजीत जयसवाल