लखनऊ के विद्यांत विद्यालय में दुर्गा पूजा और उसके बाद लक्ष्मी पूजन की महान परम्परा रही है। विक्टर नारायण विद्यांत ने ब्रिटिश काल में ही यहां सार्वजनिक उत्सव का शुभारंभ किया था। इस परम्परा का आज तक पूरी श्रद्धा व उल्लास के साथ निर्वाह किया जा रहा है। इस बार दुर्गा पूजा की भांति ही दिशा निर्देशों के अनुरूप भक्त लक्ष्मी पूजन में सम्मलित हुए। दुर्गा पूजा और शरद नवरात्रि के समापन के बाद लक्ष्मी पूजा बंगाल, असम, झारखंड, त्रिपुरा आदि में मनाई जाती है।
कार्तिक मास की अमावस्या के दिन पूरे देश में माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इससे पहले आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को कोजागिरी पूर्णिमा पर भी देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लखनऊ के विद्यांत कॉलेज की दुर्गा पूजा ऐतिहासिक है। लखनऊ की प्राचीन दुर्गा पूजा में इसकी भी गणना होती है। इसमें समाज के सभी वर्गों के लोग सहभागी होते थे। यह परम्परा अनवरत चलती रही।
इसके माध्यम से सामाजिक समरसता का भी सन्देश दिया जाता है। विद्यांत की दुर्गा पूजा में पश्चिम बंगाल के कलाकार व कारीगर भी सहभागी होते रहे है। इस प्रकार इसका स्वरूप व्यापक हो जाता है। विक्टर नारायण विद्यांत स्वयं भी अनेक राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं से जुड़े थे। इसी के अनुरूप उन्होंने यहां की दुर्गा पूजा को व्यापक फलक प्रदान किया था। उनके द्वारा स्थापित परम्परा का सतत निर्वाह किया जा रहा है।