राजधानी दिल्ली में डीटीसी और क्लस्टर बसों के 102 रूटों में बदलाव से यात्रियों की मुसीबतें बढ़ गई हैं। कई मार्गों पर बसों की कमी के कारण इंतजार और यात्रा का समय बढ़ा है, तो कई जगह बसें ज्यादा हैं और यात्री कम। कई रूट तो ऐसे भी हैं, जहां बसों में पहले से कहीं ज्यादा भीड़ बढ़ी है।
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दिल्ली परिवहन विभाग ने बसों के गैर राजस्व वाले सफर (डेड किलोमीटर) को कम करने का फैसला लिया है। बीते रविवार को डीटीसी और डिम्ट्स (क्लस्टर) के 606 बस रूटों में से 102 पर बड़ा बदलाव किया गया। डीटीसी व डिम्ट्स के 51-51 रूट एक-दूसरे को ट्रांसफर किए गए हैं। हालांकि, इस परिवर्तन के बाद कई व्यस्त रूट जैसे 623ए, 770, 473ए, 542, 271 व अन्य पर यात्रियों का इंतजार और यात्रा का समय दोनों बढ़ गया है।
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वर्तमान में 259 रूटों पर डीटीसी और 209 रूटों पर सिर्फ क्लस्टर की बसें चलती हैं। 138 रूट ऐसे हैं, जिन पर दोनों तरह की बसें चलती हैं। दिल्ली में कुल 606 रूटों पर बसों का परिचालन किया जा रहा है। नई व्यवस्था के बाद इनमें से डीटीसी के 51 रूट पर डिम्ट्स की बसें और डिम्ट्स के 51 रूट पर डीटीसी की बसें चल रही हैं। इससे कुल 102 रूट पर बदलाव किया गया है।
परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, यह फैसला बसों के गैर राजस्व सफर को कम करने के लिए किया गया है। उनके मुताबिक, एक बस डिपो से दो पाली में निकलती है। वह डिपो से निकलकर अपने शुरुआती बस स्टैंड तक जाती है, उसके बीच के सफर को गैर राजस्व यानी डेड किलोमीटर कहते हैं, क्योंकि उस दौरान उसमें कोई यात्री नहीं होता है।
एक बस के रोजाना 5 से 7 डेड किलोमीटर होते हैं। कुछ रूट पर यह 15 किलोमीटर तक हैं। दिल्ली में 7300 से अधिक बसें हैं और डेड किलोमीटर का आंकड़ा देखें तो रोजाना हजारों किलोमीटर बैठता है। परिवहन विभाग का कहना है कि डब्ल्यूआरआई जैसी संस्थाओं से सलाह के बाद यह बदलाव किया गया है।