भारत हर क्षेत्र में अति तीव्रता से आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग कर विकास के रास्ते पर बढ़ रहा है। शीघ्र ही पूर्ण डिजिटल इंडिया बनकर वैश्विक रूप से अपनी धमाकेदार उपस्थिति दर्ज करवाएगा। हालांकि, अभी भी भारत की वैश्विक स्तर पर बहुत अधिक प्रतिष्ठा है, लेकिन जिस तीव्रता से भारत आगे बढ़ रहा है, उससे हमें उम्मीद जग गई है कि हमारा देश वैश्विक लीडर का ताज शीघ्र ही पहनेगा। भारत की इस उपलब्धि और भारतीयों की क़ाबिलियत, देश में शिक्षा के बढ़ते स्तर को साबित कर रहा है।
नई शिक्षा नीति 2020 के दूरगामी और सकारात्मक फ़ायदे और लाभदायक नतीजे, हमें आने वाले वर्षों में देखने को मिलने का पूरा भरोसा है। क्योंकि जिस रणनीतिक रोडमैप के साथ इसे बनाया गया है, उससे सफलता मिलनी निश्चित है। लेकिन मेरा मानना है कि अभिभावकों, शिक्षकों और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े बुद्धिजीवियों को सिर्फ नई शिक्षा नीति 2020 के ही भरोसे नहीं बैठना चाहिए। बल्कि, उससे भी दो कदम आगे बढ़कर व्यवहारिकता, सहभागिता, सकारात्मक और उच्च सोच के साथ हमें बच्चों के भविष्य और उनके व्यक्तित्व के विकास के बारे में भी सोचना होगा।
हमें बच्चों को वास्तविक जीवन से जोड़ने की कोशिश करनी होगी। साथ ही, उनमें शिक्षा के साथ रचनात्मकता, चिंतन, अभिव्यक्ति की क्षमता को विकसित करना भी ज़रूरी है। क्योंकि आज के डिजिटल युग में कोविड महामारी के माहौल में, बच्चों को ऑनलाइन क्लास के भरोसे अधिक रहना पड़ रहा है। इस कारण से, उनके व्यक्तित्व में व्यावहारिक गुणों का विकास बही हो पा रहा है। हालांकि अभी कुछ दिनों से स्कूल भी शुरू हो गए हैं लेकिन, ओमिक्रोन वेरिएंट के बढ़ते दायरे से उपयुक्त कोविड प्रोटोकॉल के चलते, बच्चों के रचनात्मक विकास पर प्रभाव भी पड़ सकता है। इसलिए हमें उनकी इस कमी को पूरा करने के लिए उन्हें इस दिशा में भी सहयोग और जागृति लानी होगी। वो भो इस संकल्प के साथ कि हम अपने बच्चों को रोज़गार सृजनकर्ता अर्थात, enterpreneur ही बनाना है। यही आत्मनिर्भर भारत का मूल मंत्र भी है।
वैश्विक स्तर पर भी भारतीयों ने पूरी दुनिया से अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया है। इस बात का सबूत यह है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर की बड़ी-बड़ी कंपनियों में उच्च पदों पर भारतीय ही क़ाबिज़ हैं।आईबीएम, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट सहित सात कंपनियों की कमान मूल भारतीयों के हाथों में है और वह enterpreneur बन कर कई लोगों को रोजगार दे रहे हैं। यही enterpreneurship का trend भारत में भी अब ज़ोर पकड़ रहा है। यही आत्मनिर्भर भारत की सफलता की कुंजी है। आज हमें इस मंत्र से प्रेरणा लेकर, एक सफल enterpreneurship का मंत्र अपने बच्चों को देना है। इसलिए, यह बेहद ज़रूरी है कि हम उन्हें प्ले क्लास से लेकर शिक्षा के ecosystem के अनुसार वास्तविक जीवन से जोड़ें। उनके अंदर रचनात्मकता और अभिव्यक्ति की क्षमता का विकास करना शुरू करें।
अगर हम सरकार के चलाए जा रहे ‘पढ़े भारत’अभियान की बात करें, कि जिसे 14 महीने यानी, दिनांक 01 जनवरी 2022 से 10 अप्रैल 2022 तक चलाया जाना है ‘पढ़े भारत’ अभियान,, की करें तो इसमें भी बच्चों को वास्तविक जीवन से जोड़ने, शिक्षा में रचनात्मक चिंतन, अभिव्यक्ति की क्षमता विकसित करने सहित अनेक गुणों को, 100 दिनों तक अभियान के तहत प्रेरित किया जाएगा। वहीं, दिनांक 31 दिसंबर 2021 को शिक्षा मंत्रालय ने पीआईबी जारी की है। जिसके तहत, केंद्रीय शिक्षण कौशल विकास मंत्री ने कहा है कि बाल वाटिका से आठवीं कक्षा तक के बच्चे इस अभियान का हिस्सा होंगे।
पढ़ाई अभियान का उद्देश्य बच्चों, शिक्षकों, अभिभावकों, समुदाय, शैक्षिक प्रशासन आदि सहित राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर पर सभी हितधारकों की भागीदारी सुनिश्चित करना है। 100 दिनों का अभियान चौदह सप्ताह तक जारी रहेगा और प्रति समूह प्रति सप्ताह एक क्रियाकलाप को इस रूप में डिजाइन किया गया है ताकि पढ़ाई को मनोरंजक बनाया जा सके और पढ़ाई का आनंद आजीवन बना रहे। क्रियाकलापों का उम्र के अनुसार उपयुक्त साप्ताहिक कैलेंडर सहित पढ़ाई अभियान पर एक व्यापक दिशा निर्देश तैयार करके राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साझा किया गया है।
शिक्षकों, माता-पिता, साथियों, भाई-बहनों या परिवार के अन्य सदस्यों की मदद से बच्चों द्वारा ऐसे क्रियाकलाप संपन्न किए जा सकते हैं। अभियान को प्रभावी बनाने के लिए, डिज़ाइन किए गए क्रियाकलापों को सरल और आनंददायक रखा गया है, ताकि इन्हें घर पर उपलब्ध सामग्रियों/संसाधनों के साथ तथा स्कूल बंद होने की स्थिति में माता-पिता, साथियों और भाई-बहनों की मदद से आसानी से पूरा किया जा सके। उन्होंने 1 जनवरी, 2022 को 100 दिवसीय पढ़ाई अभियान ‘पढ़े भारत’ का शुभारंभ किया।
100 दिवसीय पढ़ाई अभियान छात्रों के सीखने के स्तर में सुधार लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि यह रचनात्मकता, महत्वपूर्ण चिंतन, शब्दावली के साथ-साथ मौखिक तथा लिखित दोनों तरह से अभिव्यक्ति की क्षमता विकसित करता है। यह बच्चों को उनके परिवेश एवं वास्तविक जीवन की स्थिति से जोड़ने में मदद करता है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि ‘पढ़े भारत’ अभियान पर हमें गर्व है तथा बच्चों को वास्तविक जीवन से जोड़ने,शिक्षा में रचनात्मकता चिंतन, अभिव्यक्ति की क्षमता विकसित करना ज़रूरी है तथा पढ़े भारत अभियान का डिजाइन पढ़ाई को मनोरंजक और वास्तविक जीवन से जोड़कर पढ़ाई का आनंद जीवन भर बना रहे इस पर आधारित है जो सराहनीय क़दम है।