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चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से…कोराउना कय दुसरकी लहर केरे बीच मा काला, सफेद पीला फफूंदौ आय गवा

नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान

चतुरी चाचा ने प्रपंच की शुरुआत करते हुए कहा- बैशाख-जेठ महीने में सावन-भादों का मौसम है। पहले ‘ताउते’ और फिर ‘यास’ नामक समुद्री तूफान आया। इस वजह से वैशाख के अंत और जेठ की शुरुआत में आँधी-पानी आया है। लेकिन, घाघ कहते हैं कि ‘जो जेठे चले पुरवाई, तौ सावन धूरी उड़ाई।’ घाघ की माने तो जेठ में बारिश होना गलत है। इसका संदेश साफ है कि सावन सूखा रहेगा। सावन में अगर बारिश न हुई तो धान सहित खरीफ की अन्य फसलों को नुकसान होगा। दो साल से कोरोना के साथ अन्य आफतें भी आ रही हैं। हम सबका जीवन बड़ा कठिन हो गया है।

आज सुबह रिमझिम बारिश हो रही थी। आसमान में काली घटाएं उमड़-घुमड़ रही थीं। ठंडी हवा से बदन में सुरसुरी हो रही थी। जेठ के इस तपते महीने में सावन अठखेलियाँ कर रहा था। प्रपंच चबूतरे पर सन्नाटा था। चतुरी चाचा अपने मड़हा में तख्त पर विराजमान थे। तख्त पर मॉस्क व सेनिटाइजर की बोतलें रखी थीं। मड़हे में दो-दो गज की दूरी पर कुर्सियां पड़ी थीं। मेरे पहुंचने से पहले मुन्शीजी व कासिम चचा पहुंच चुके थे। मेरे पीछे से ककुवा एवं बड़के दद्दा की जोड़ी भी आ गई थी। आज प्रपंच चबूतरे के बजाय मड़हा में पँचायत चल रही थी।

चतुरी चाचा

चतुरी चाचा की बात को आगे बढ़ाते हुए ककुवा बोले- चतुरी भइय्या, अब तौ नई-नई बीमारी-महामारी आय रही हैं। कोराउना कय दुसरकी लहर केरे बीच मा काला, सफेद पीला फफूंदौ आय गवा। काहे-काहे ते बचा जाय। ई बखत कोराउना ते जादा चर्चा काले फंगस केरी होय रही। कोऊ कोराउना ते, कोऊ फंगस ते मरि रहा। दैवीय आपदाएं अलग ते कहर ढाए हैं। युहु सब परकृति ते खिलवाड़ करय का नतीजा आय। जलवायु परिवर्तन के कारन खेतीबाड़ी चौपट होय रही है। मनई अपने भौतिक सुख साधन बढ़ावे केरे चक्कर मा वातावरन का प्रदूषित कय रहा है। प्रदूषन के चलते नाना परकार केरी बीमारी-महामारी अउ दैवीय आपदाएं आय रही हैं। तभी चंदू बिटिया नाश्ते की ट्रे लेकर आ गई। आज गुनगुना नींबू पानी और तुलसी अदरक की कड़क चाय के साथ प्याज, पालक व आलू की गर्मागर्म पकौड़ियाँ भी थीं। सभी परपंचियों ने पहले पकौड़ियाँ खायीं फिर नींबू पानी पीया। कुल्हड़ वाली चाय के साथ प्रपंच आगे बढ़ा।

कासिम चचा बोले- सरकार ने मेरी बात सुन ली है। अब ग्रामीणों को बिना पूर्व रजिस्ट्रेशन के कोरोना टीका लगाया जाएगा। वैक्सीन सेंटर पर ही ग्रामीणों का रजिस्ट्रेशन हो जाएगा। सरकार को चाहिए कि ग्रामीण इलाके की सभी सीएचसी व पीएचसी में पर्याप्त कोरोना वैक्सीन उपलब्ध करवाती रहे। साथ ही इन सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर कोरोना के इलाज की पर्याप्त व्यवस्था कर दे। अगर सरकार यह काम समय से कर ले गयी, तो ग्रामीण जनता कोरोना के मार से किसी हद तक बच जाएगी।

बड़के दद्दा ने चुटकी लेते हुए कहा- कासिम मास्टर को प्राइमरी स्कूल से निकाल कर मोदी जी का सलाहकार बना देना चाहिए। इनके पास बच्चों को पढ़ाने की बुद्धि-युक्ति भले कम हो। परन्तु, सरकार चलाने की बुद्धि-युक्ति बहुत है। ये दिनरात मोदी सरकार की कमी खोजते हैं। चतुरी चाचा ने हंसते हुए कहा- कासिम भाई नेता विरोधी दल हैं। वैसे मजबूत लोकतंत्र के लिए विपक्ष भी बहुत मजबूत होना चाहिए। भारत में इस समय मजबूत विपक्ष का अभाव है। विपक्षी राजनीतिक पार्टियां मोदी विरोध की घटिया राजनीति पर उतारू हैं। इसका उदाहरण शुक्रवार को ममता बनर्जी ने पेश भी किया। उन्होंने तूफान का जायजा लेने पश्चिम बंगाल पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी को आधे घण्टे तक इंतजार करवाया। उधर, राहुल गांधी भी मोदी के व्यक्तिगत विरोधी बन गए हैं।

मुन्शीजी ने विषय परिवर्तन करते हुए कहा- इस बारिश से जायद फसलों की सिंचाई मुफ्त में हो गई है। वहीं, खरीफ फसलों की बुवाई के लिए खेत तैयार करने का काम आसान कर दिया है। परसों बड़ा मंगल है। हम तो परसों धान की पौध के लिए धान बुवाई करवा देंगे। दो दिनों से गोबर की खाद खेत में पहुंच रही है। मैं इस बार डीएपी और यूरिया का प्रयोग नाम मात्र करना चाहता हूं। हालांकि, सरकार ने डीएपी के दाम कम कर दिए हैं। दरअसल, मैं भी अब चतुरी चाचा की तरह गोबर की खाद, हरी खाद व अन्य जैविक खाद के दम पर खेती करना चाहता हूं। मैं रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों से पूरी तरह मुक्ति पाना चाहता हूं।

 

इस पर चतुरी चाचा ने कहा- रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं। हम सबको जैविक खाद और कीटनाशक ही इस्तेमाल करने होंगे। कोरोना खत्म हो जाए, तब प्रधान से कहकर पूरी ग्राम पंचायत के किसानों की एक बैठक कराई जाए। उसमें जैविक खेती के लिए सामूहिक संकल्प लिया जाए। अगर हम सबने जैविक खेती शुरू कर दी, तो जंवार के अन्य गांवों में भी देखा-देखी जैविक खेती होने लगेगी।

अंत में हमेशा की तरह हमने सबको कोरोना अपडेट देते हुए बताया- विश्व मे अबतक करीब पौने 17 करोड़ लोग कोरोना से पीड़ित हो चुके हैं। इसमें करीब 35 लाख लोगों की मौत हो गई। इसी तरह भारत में अबतक पौने तीन करोड़ से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इसमें तीन लाख 18 हजार से अधिक लोगों को कोरोना निगल गया। यहाँ कोरोना से मरने वालों की संख्या और वैक्सीन को लेकर विपक्ष हायतौबा कर रहा है। उधर, विश्व बिरादरी में कोरोना वायरस को चीन निर्मित होने की सुगबुगाहट बढ़ गई है। इस मामले में अमेरिका ने अपनी खुफिया एजेंसी को 90 दिनों में जाँच करने का आदेश दिया है।
इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही लेकर अगले रविवार को फिर हाजिर रहूँगा। तबतक के लिए पँचव राम-राम!

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