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चतुरी चाचा : सरकारी स्कूलन म पढ़ाई छोड़िक सब होत हय!

 नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान

चतुरी चाचा ने प्रपंच का आगाज करते हुए कहा- देस का आजाद भये 75 साल होइगे। भारत अपनी आजादी क्यारु अमृत महोत्सव मनाय रहा। मुला, अबहिंयु आम बच्चन क नीकि शिक्षा नाय मिलि पाय रही। सरकारी प्राइमरी स्कूलन म पढ़ाई छोड़िक सब होत हय। मास्टर अउ मस्टराइन मोटी तनख्वाह लेत हयँ। बड़ी-बड़ी बिल्डिंगय खड़ी हयँ। स्कूल म कुर्सी-मेज, टाट-पट्टी अउ अलमारी सबुई कुछु हय। स्कूलन म गैस चूल्हा, बर्तन, रसोईघर, शौचालय, खेलकूद का सामान। अरे! हर याक चीज हय। कम्पूटर तलक लागि हयँ। लरिका-बिटियन का दोपहर क खाना, वजीफा, कॉपी-किताब अउ ड्रेसव मिलत हय। सरकार करोड़न रुपया इ पाठशालन पय हर महीना फूँकि रही। द्याखा जाय तौ सरकारी धन पानी म बहावा जाय रहा। प्राइमरी स्कूलन म पढ़तय को हय? कुछू गरीब-गुरबन क लरिका-बिटिया इनमा जात हयँ। तुम पंच बताव। सरकारी स्कूलन म बच्चन का कौनव भविष्य हय? चतुरी चाचा अपने प्रपंच चबूतरे पर बड़ी गम्भीर मुद्रा में बैठे थे। कासिम चचा, ककुवा, मुंशीजी व बड़के दद्दा चबूतरे की फुलवारी का निरीक्षण कर रहे थे। वहीं, पुरई चबूतरे के पास अमरूद व अनार के पौधे लगा रहे थे। आज सुबह हल्की बूंदाबांदी हो जाने से मौसम बढ़िया था। आसमान में सूरज बादलों के साथ लुकाछिपी खेल रहा था। जमीन पर बच्चे आपस में कबड्डी खेल रहे थे। कुछ लड़कियां भादौं में भी झूला झूल रही थीं। मेरे चबूतरे पर पहुंचते ही ककुवा ने चतुरी चाचा के तार छेड़ दिए। ककुवा ने पूछा- का सोचत हौ चतुरी भाई? बड़ा गम्भीर बैठा हौ।

तब चतुरी चाचा ने अपनी चिंता की गठरी खोल दी। वह बोले- हम काल्हि चकहार ते लौटि रहे रहन। रस्तम चमरहिया क चार-छह लरिका-बिटिया मिलिगे। हम उनते पढ़ाई-लिखाई क बारे म पूछतांछ कीन। सबके सब जीरो बटा सन्नाटा। कक्षा चारि म पढ़य वाली बिटिया छह का पहाड़ा नाय सुनाय पाइस। पँचयेम पढ़य वाला लौंडा सही ते इकाई-दहाई नाय बताय पाइस। तीसरे म पढ़य वाली बिटेवा छोटा अ ते ज्ञ तलक नाय सुनाय पाइस। प्राइमरी स्कूलन केरी पढ़ाई देखिक हमार तौ दिमाग भन्नाय गवा। आखिर इ लरिका-बिटिया आगे चलिके का करिहैं?

ककुवा बोले- चतुरी भाई, तुम सरकारी स्कूलन का हालु काल्हि जानेव। हम तौ यह दशा सालन ते देखि रहेन। प्राइमरी स्कूल जाय वाले तमाम लरिका-बिटिया हमरे दुआरे त निकरत हयँ। हम स्कूली बच्चन ते पढ़ाई-लिखाई क बारे म पूछा करित हय। इ लरिका-बिटियन क महतारी-बाप सब जानत हयँ। प्राइमरी स्कूलन म 25-30 साल पहिले पढ़ाई उच्छिन्न होइगै रहय। प्राइमरी स्कूलन क्यारु बजट अउ व्यवस्था बढ़त गय। पढ़ाई वही तिना घटत गय। अंगूरी गिनय भरिके लरिका-बिटिया सरकारी स्कूलन म जात हयँ। मास्टरवै अपन नौकरी बचाय रहे। स्कूल क रजिस्टर म मतलब भरिके बच्चन क नाम लिखे रहत हयँ।

बिल्कुल आंगनबाड़ी क तर्ज पहिंया। शिक्षव विभाग म बड़े खेल हयँ भइय्या। सब तरह-तरह ते सरकारी धन लुटि रहे। सरकारी स्कूलन क दशा खराब होय ते प्राइवेट स्कूलन केरी चांदी हय। जहां द्याखव हुवां ककुरमुत्ता तिना प्राइवेट स्कूल खुले हयँ। इनका स्कूल काहे, कोल्हू समझव। इ स्कूल रूपी कोल्हू म अभिभावक बिचारे गन्ना जइस पेरे जात हयँ। प्राइवेट स्कूल म मोटी फीस तौ लिनै जात हय। प्राइवेट स्कूलन म कॉपी, किताब, कलम, कवर, ड्रेस, टाई, बेल्ट, जूता, मोजा सगरा सामान बिकात हय। हर चीज बाजार ते दुगुने-डेढ़ गुने दाम प खरीदय क परत हय। प्राइवेट स्कूल वाले तरह-तरह ते पईसा चूसत हयँ। इन पय सरकार का कौनव कंट्रोल नाय हय। नर्सरी ते इंटर तलक बड़ी आफत हय।

इसी दौरान चंदू बिटिया परपंचियों के लिए जलपान लेकर हाजिर हो गई। आज जलपान में स्वादिष्ट सेंवई और कुल्हड़ वाली स्पेशल चाय थी। सबने एक-एक कटोरा सेंवई पी। फिर इंडिया मार्क टू से पानी पीकर चाय के कुल्हड़ थाम लिये। चाय के साथ चर्चा आगे बढ़ गई।

कासिम चचा ने कहा- यहां सभी सरकारी प्राइमरी स्कूलों को एक तराजू में तौल दिया गया। यह गलत है। आज भी न जाने कितने सरकारी स्कूलों में टीचर बड़ी मेहनत से पढ़ाते हैं। वहां के बच्चे प्राइवेट स्कूलों के बच्चों से कहीं ज्यादा ज्ञानी हैं। हालांकि, ऐसे सरकारी स्कूलों की संख्या बहुत कम है। सरकारी स्कूलों की स्थिति सिर्फ सरकार ठीक नहीं कर पायेगी। इसके लिए उस गांव के लोगों को लगना पड़ेगा है। गांव हो या फिर शहर हो।प्राइमरी, अपर प्राइमरी व मिडिल स्कूलों के आसपास के नागरिकों को इन स्कूलों की निगरानी करनी चाहिए। सक्षम लोग अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाए। नेताओं और अधिकारियों के बच्चे भी सरकारी स्कूल में पढ़ना शुरू करें। यदि ऐसा हो जाये तो सरकारी स्कूलों की स्थिति स्वतः ही शानदार हो जाएगी। पहले की तरह सरकारी स्कूलों के बच्चे आईएएस, आईपीएस, पीसीएस, डॉक्टर, टीचर, लॉयर, इंजीनियर व वैज्ञानिक बनेंगे।

मुंशीजी ने विषय परिवर्तन करते हुए कहा- हम सबके जीवन में 15 अगस्त, 2022 की तारीख बड़ी महत्वपूर्ण हो गई है। इस पंद्रह अगस्त को देश की स्वतंत्रता हुए 75 वर्ष पूरे हुए हैं। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। हम सब इसके साक्षी बन गए हैं। बाकी जब तक धरती है। जब तक भारत है। तब तक 15 अगस्त का राष्ट्रीय पर्व मनता रहेगा। परन्तु, हम लोगों के जीवन में जो कुछ हो रहा है, वो सबकुछ ऐतिहासिक है। चाहे जम्मू-कश्मीर से धारा-370 का हटना हो। चाहे अयोध्या में राम मंदिर का बनना हो। चाहे दिल्ली में नया लोक भवन (सेन्ट्रल विस्टा) का बनना हो। चाहे पहली बार एक आदिवासी महिला का राष्ट्रपति बनना हो। इसी तरह अन्य बहुत सारी चीजें पहली बार हुई हैं। नोटबन्दी और कोरोना लॉकडाउन की भी अपनी अभूतपूर्व स्मृतियां हैं। प्रधानमंत्री मोदी जी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी जी हम सबको कोई न कोई सरप्राइज देते ही रहते हैं। बहरहाल, भारत बड़े परिवर्तन से गुजर रहा है। देश आत्मनिर्भर बन रहा है।

बड़के दद्दा ने मुंशीजी की बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- भारत अब विकास की सरपट दौड़ में भागीदारी कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में भारत विश्व के शक्तिशाली देशों के पंक्ति में खड़ा होने को बेताब है। इसके लिए भारत का युवा वर्ग रातदिन परिश्रम कर रहा है। महिलाओं ने भी कमर कस ली है। परन्तु, सत्ता लोलुप कांग्रेस व अन्य विपक्षी दल भाजपा का विरोध करते-करते भारत का विरोध करने लगते हैं। विपक्षी नेता मोदी का अनर्गल विरोध करने के चक्कर में देश वासियों को अपमानित करने लगते हैं। विरोधियों की यही चूक उन्हें सत्ता से बेदखल किये है। कांग्रेस, सपा, बसपा, शिवसेना, टीएमसी सहित अन्य विपक्षी दल जनता की नब्ज ही नहीं टटोल पा रहे हैं। विपक्ष के नेता जाति/धर्म/क्षेत्र/भाषा के आधार पर सत्ता हासिल करना चाहते हैं। लेकिन, जनता उनकी चाल समझ चुकी है। इसलिए आज पूरा देश मोदी को राजनेता मानकर उनके पीछे चल रहा है।

मैंने हमेशा की तरह कोरोना अपडेट देते हुए प्रपंचियों को बताया कि विश्व में अब तक करीब 60 करोड़ लोग कोरोना से पीड़ित हो चुके हैं। इनमें करीब 64 लाख 70 हजार लोगों की मौत हो चुकी है। इसी तरह भारत में अब तक चार करोड़ 43 लाख से ज्यादा लोग कोरोना की जद में आ चुके हैं। इनमें पांच लाख 27 हजार से अधिक लोगों को बचाया नहीं जा सका। भारत में टीकाकरण अभियान अब अंतिम चरण में है। देश में बूस्टर डोज भी जगह-जगह लगाई जा रही है। भारत ने टीकाकरण के दम पर कोरोना महामारी को नियंत्रित कर रखा है।

अंत में चतुरी चाचा ने कहा- सब जने समाज का नशामुक्त करय म अपन योगदान देव। सब ते पहिले अपन घर-परिवार अउ दुकान-प्रतिष्ठान का नशामुक्त बनावत जाव। यहिके बादि अपन गांव-जवार नशामुक्त करत जाव। इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही के साथ फिर हाजिर रहूँगा। तब तक के लिए पँचव राम-राम!

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