लखनऊ। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने सीएसआईआर-एनबीआरआई प्रेक्षागृह में आयोजित पारिस्थितिकी सुधार एवं जैव विविधता संरक्षण पर दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया। अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्रों के बढ़ते क्षरण को कम करने के लिए हमें ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाने होंगे और इसके लिए लोगों को जागरूक भी करना होगा।
उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पौधारोपण अभियान के बारे में बताते हुए कहा कि इस अभियान के अंतर्गत उत्तर प्रदेश में पिछले पांच वर्षों में करीब 100 करोड़ पौधे लगाये, जिनमें से 85 प्रतिशत पौधों का रोपण सफल रहा। उन्होंने आर्गेनिक खेती का इस्तेमाल करने पर बल देते हुए कहा कि हमे अपनी मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढानी होगी, कीटनाशक एवं अन्य हानिकारक रसायन के इस्तेमाल से मिट्टी अपनी पुरानी क्षमता को खोती जा रही है।
उन्होंने सम्मेलन में मौजूद वैज्ञानिकों एवं शोधार्थियों का आह्वान करते हुए कहा कि हमें अपने पर्यावरण को संरक्षित और भविष्य के लिए सुरक्षित बनाने के लिए वैज्ञानिक तरीकों के साथ-साथ अपने पारंपरिक ज्ञान का भी समन्वेषण करना चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने वर्ष 2070 तक जीरो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित किया है, इसके बारे में दूसरों को जागरूक करें और अपने-अपने स्तर से योगदान भी करें। प्लास्टिक एवं अन्य अनावश्यक वस्तुयों का प्रयोग कम से कम या जरुरत के अनुसार करें, समाज के सहयोग से ही यह लक्ष्य हम पूरा कर पाएंगे, जिससे हम आगे आने वाली पीढ़ी को एक सुरक्षित पर्यावरण दे पाएंगे।
उन्होंने कहा कि दो दिवसीय चर्चा से नए युवा शोधकर्ताओं को एक सोच, नई दिशा और नई ऊर्जा मिलेगी, जिससे वह आगे के लिए और बेहतर कार्य कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश का अमृतकाल शुरू हो गया है। यह अमृतकाल आगामी 25 साल तक, यानि जब हम देश की आजादी का 100वां साल मनायेंगे 15 अगस्त, 2047 में, यह अमृतकाल हमारे देश का पूरी तरह से कायाकल्प कर देगा, देश को दुनिया के शिखर पर ले जायेगा। उन्होंने कहा कि इस अमृत काल में हम अपनी कल्पना शक्ति से विचार कर देश, शहर व गांव की तरक्की के लिये योगदान कर सकते हैं।
कार्यक्रम में वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. रूप लाल, सीएसआईआर-एनबीआरआई के निदेशक प्रो. एसके बारिक, क्लीन एंड ग्रीन एनवायर्नमेंटल सोसाइटी के उपाध्यक्ष डॉ. एससी शर्मा तथा आयोजन सचिव डॉ. प्रियंका अग्निहोत्री सहित वैज्ञानिकगण, शोधार्थीगण आदि उपस्थित थे।