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एक महाविद्यालय एक गाँव का सराहनीय प्रयास- राज्यपाल

राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल उच्च शिक्षण संस्थानों को सामाजिक दायित्वों के प्रति भी प्रोत्साहित करती हैं. इस दिशा में होने वाले प्रत्येक कार्य विद्यार्थियों को श्रेष्ठ नागरिक बनने की प्रेरणा देते हैं. शिक्षा ग्रहण करने के साथ ही उनको समाज और देश की सेवा के संस्कार मिलते हैं. नई शिक्षा नीति में इनका समावेश किया गया है. आनंदीबेन पटेल ने आज डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा द्वारा अयोजित इण्डियन कांउसिल आफ केमिस्ट के सम्मेलन में भी इस प्रकार के विचार व्यक्त किए. सम्मेलन को उन्होंने राजभवन से ऑनलाइन संबोधित किया.

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उन्होंने विश्वविद्यालय के सामाजिक दायित्वों का उल्लेख किया. कहा कि आत्मनिर्भर भारत निर्माण की दिशा में “एक महाविद्यालय एक गाँव” के अंतर्गत गाँव को गोद लेने की कार्यवाई आगे बढ़ाई गई. इनमें स्वास्थय समस्याओं के निराकरण में सहयोग करने, महिला सशक्तिकरण, स्वरोजगार, स्वच्छता अभियान जैसे विविध कार्य संचालित किए जा रहे हैं. इसके अलावा विश्वविद्यालय के रसायन विभाग द्वारा विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में प्रतिभागिता और शोध परियोजनाओं के सफल सम्पादन किया गया.

राज्यपाल ने कहा कि हमारे विज्ञानिकों ने आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ाते हुए स्वदेशी वैक्सीन को-वैक्सीन और कोविशील्ड विकसित की थी, और अब नेजल वैक्सीन इनकोवैक भी तैयार कर ली है, जिसे भारत सरकार ने बूस्टर डोज के तौर पर अपने कोविड-19 वैक्सीनेशन प्रोग्राम में शामिल कर लिया है. राजपाल ने विश्व में कोरोना के पुनः बढ़ते प्रसार को देखते हुए सभी से कोरोना सम्बन्धी सावधानियों और ऐहतियात रखने को कहा.

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उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा स्नातक और परास्नातक स्तर पर नई शिक्षा नीति-2020 लागू करने, वोकेशनल कोर्स प्रारम्भ करने तथा नैक मूल्यांकन की तैयारी हेतु कार्यशालाएं आयोजित करने को सराहनीय बताया. आनन्दी बेन पटेल ने प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत को मिली प्रतिष्ठा का उल्लेख किया. पिछले दिनों भारत ने जी 20 देशों का अध्यक्ष पद संभाला है. इसके अलावा नरेन्द्र मोदी के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित कर दिया है.

इन दोनों की सफ़लता में शिक्षण संस्थानों को भी सहभागी बनना चाहिए. राज्यपाल ने कहा कि मोटे अनाज के प्रति लोगों को जागरूक करना चाहिए.राज्यपाल ने देश में मोटे अनाजों के घटते उत्पादन पर भी चिन्ता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि सठा के दशक में हमारे देश में कुल खाद्यान्न का चालीस प्रतिशत उत्पादन मोटे अनाज के रूप में होता था। य़ह स्वास्थ्य वर्धन होते हैं. उन्होने कहा कि जी 20 से सम्बन्धित इवेंट्स में भी विश्वविद्यालयों को सहभागिता करनी चाहिए. विदेशी भाषाओं का ज्ञान रखने वाले विद्यार्थी इन देशों के प्रतिनिधियों को अपने देश की विशेषताओं, पर्यावरण, लोकहित में सरकार द्वारा उठाये गए कदमों की जानकारी दें.

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अपने विश्वविद्यालय में नवाचारों, स्टार्टअप, अन्य विविध गतिविधियों की प्रदर्शनी एवं डिजिटली माध्यम से प्रचारित करके उन प्रतिनिधियों को उनसे परिचित कराएं. उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने रसायन से पर्यावरण और जीवन में आने वाले परिवर्तनों की चर्चा की और कहा कि रसायन के उपयोग से विश्व में असीमित प्रगति हुई है. हर क्रिया और प्रतिक्रया में रसायन शामिल है.

रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री

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