• गर्भाशय में शिशु के साथ बनी थी बड़ी गांठ
• सिजेरियन डिलीवरी के बाद जच्चा-बच्चा स्वस्थ, मिली बड़ी सफलता
वाराणसी। एक पैर से दिव्यांग 21 वर्षीय निशा पहली बार मां बनने जा रही थी। गर्भवती होने के दो महीने बाद ही उनकी खुशियों पर तब ग्रहण लग गया जब उन्हें पता चला कि उनके गर्भाशय में शिशु के साथ-साथ एक गांठ भी लगातार बड़ी हो रही है। इससे न सिर्फ उनको बल्कि गर्भ में पल रहे उनके शिशु को भी जान का खतरा हो सकता है।
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निशा पहले तो घबराई पर जब चिकित्सक ने उन्हें आश्वस्त किया तो उनका हौसला बढ़ गया। लगातार चिकित्सक की निगरानी और समुचित उपचार का नतीजा रहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र दुर्गाकुण्ड में निशा का जटिल प्रसव सुरक्षित हो गया। सिजेरियन डिलीवरी के बाद जच्चा-बच्चा स्वस्थ हैं। इसे एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है।
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाने पर सरकार व स्वास्थ्य विभाग का पूरा जोर है। इसके तहत हर जरूरी बिन्दुओं का खास ख्याल रखते हुए सुरक्षित प्रसव कराने की हरसंभव कोशिश की जाती है, ताकि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सके। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि गर्भवती की प्रसव पूर्व जांच के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत हर माह की एक, नौ, 16 और 24 तारीख को स्वास्थ्य केन्द्रों पर विशेष आयोजन होता है। जहाँ गर्भवती की सम्पूर्ण जांच की जाती है और कोई जटिलता होने पर गर्भवती की विशेष जांच व देखभाल की जाती है। ताकि जच्चा-बच्चा को सुरक्षित बनाया जा सके।
उन्होंने बताया कि छित्तूपुर-लंका की रहने वाली निशा बचपन से ही एक पैर से दिव्यांग है। उसके पति अश्वनि एक वाहन स्टैण्ड पर कर्मचारी हैं। पहली बार मां बनने जा रही निशा कुछ माह पूर्व शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र दुर्गाकुण्ड में जांच व देखभाल के लिए आयी थी। अन्य जांच के साथ ही जब उनका अल्ट्रासाउण्ड हुआ तो पता चला कि उनके गर्भाशय में भ्रूण के साथ-साथ एक गांठ भी लगातार बड़ी हो रही है।
सीएचसी दुर्गाकुण्ड की अधीक्षिका व स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ सारिका राय बताती हैं कि निशा हाई रिस्क प्रेगनेंसी (एचआरपी) में थी। उन्हें एहतियात बरतने की सलाह देने के साथ ही उनका विशेष ध्यान रखा गया। साथ ही समय-समंय पर आवश्यक जांच भी की जाती रही। इस बीच उसके गर्भ की गांठ बढ़कर 10 x 8 सेन्टी मीटर की हो चुकी थी। यह पूरी तरह जटिल प्रसव का मामला था। निशा को प्रसव की डेट 30 जून बतायी गयी थी, लेकिन बुधवार 21 जून की दोपहर में ही उन्हें तेज प्रसव पीड़ा होने लगी।
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सीएचसी, दुर्गाकुण्ड जब वह पहुंची तो उन्हे फौरन आपरेशन की जरूरत थी। ऐसी आपात स्थिति में फौरन एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डा. निकुंज कुमार वर्मा को कॉल किया गया । आपरेशन कर कुछ ही देर में निशा का सुरक्षित प्रसव करा लिया गया। जन्म के समय शिशु का वजन 2700 ग्राम था। जच्चा-बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है और उन्हें अस्पताल के मदर एवं न्यू बार्न केयर यूनिट (एमएनसीयू) में भर्ती कराया गया है। डा. सारिका राय ने बताया कि शहरी सीएचसी दुर्गाकुण्ड में इस वर्ष अप्रैल से अबतक कुल 102 प्रसव हुए है। जिनमें 36 सिजेरियन व शेष सामान्य प्रसव हुए हैं।
रिपोर्ट-संजय गुप्ता