New Delhi। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव (AICC Secretary) शाहनवाज़ आलम (Shahnawaz Alam) ने दूरदर्शन (Doordarshan) द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी (AMU) संस्थापक (founder) सर सय्यद अहमद खान (Sir Syed Ahmed Khan) पर आधारित बायोपिक (Biopic) दिखाने से इनकार करने की निंदा की है। कांग्रेस नेता ने मंगलवार को जारी अपने ब्यान में कहा कि प्रसार भारती (Prasar Bharati) द्वारा फिल्म के प्रोड्यूसर को लिखे गए पत्र की भाषा से ही स्पष्ट है कि प्रसार भारती ऐसा अपने स्तर पर नहीं कर रहा है बल्कि उससे यह करवाया जा रहा है। शाहनवाज़ ने दूरदर्शन को अपनी स्वायत्तता (Autonomy) दिखाने का सुझाव देते हुए कहा कि संस्थाओं को सरकार के नफरती एजेंडे के आगे नहीं झुकना चाहिए।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी सस्ते, काल्पनिक इतिहास और तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर बनाई जाने वाली फिल्मों को न सिर्फ़ संसद में अपने कैबिनेट के साथ देखते हैं बल्कि उन्हें टैक्स फ्री भी करवाते हैं ताकि लोग आरएसएस द्वारा फैलाई गयी देश विरोधी अफवाहों को सच मान लें। लेकिन देश को बड़ा विश्वविद्यालय देने वाले सर सय्यद अहमद की बायोपिक इसलिए नहीं दिखाने देते कि वो मुस्लिम और राष्ट्रवादी थे। उन्हें यह भी डर है कि सर सय्यद पर बायोपिक देखने के बाद लोग उनसे भी एएमयू जैसे विश्वविद्यालय बनाने की माँग करने लगेंगे।
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कांग्रेस नेता ने कहा कि आरएसएस और भाजपा का एएमयू से नफरत नयी नहीं है। इससे पहले भी वो एएमयू का अल्पसंख्यक दर्जा खत्म करने की कोशिश करते रहे हैं, जिसपर सुप्रीम कोर्ट से उसे झटका भी लगा है। शाहनवाज़ आलम ने कहा कि दूरदर्शन द्वारा सर सय्यद पर बायोपिक दिखाने से इनकार करना वैसा ही है जैसा पिछले दिनों उत्तराखण्ड के गढवाल विश्वविद्यालय में लगने वाले पुस्तक मेला को भी आरएसएस के दबाव में इसलिए टाल दिया गया कि उसमें नेहरू, गाँधी और अम्बेडकर पर किताबें बिकनी थीं। शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मोदी जी यह बात नहीं समझ पाएंगे कि नेहरू, गाँधी, अम्बेडकर और सर सय्यद अहमद खान की शख्सियतों का आकर्षण फिल्मों और सीरियलों पर निर्भर नहीं है।