भारतीय दर्शन में जीवन का चौथा चरण सन्यास आश्रम होता है। लेकिन आध्यात्मिक प्रेरणा से किसी भी अवस्था में सन्यास ग्रहण किया जा सकता है। इस परम्परा में बालक, युवा और वृद्ध सभी लोग सम्मिलित है। हमारी परंपरा में इस प्रकार के सन्यास जीवन पर अमल करने वाले अनगिनत उदाहरण है। सन्यास आश्रम के साथ समाज सेवा को जोड़कर चलने की भी परम्परा रही है। इस मार्ग का अनुसरण करने वालों ने निजी जीवन सन्यास को अपनाया, इसी के साथ उसमें समाज सेवा का भी समावेश किया।
इस प्रकार के उदाहरणों की भी कमी नहीं है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सन्यास की इसी परम्परा पर चल रहे है। वह निजी जीवन में सन्यास आश्रम की मर्यादाओं का अमल करते है। इसके साथ ही समाज सेवा के प्रति भी समर्पित है। सन्यास और समाज सेवा का सामंजस्य उनके आचरण में परिलक्षित होता है।
मुझे कई बार योगी जी से मिलने का अवसर मिला। सरकार गठित होने के कुछ महीने बाद ही राजभवन के एक कार्यक्रम में उनसे मिलने का अवसर मिला। मैने उनको अपना नाम बताया। मेरा आकलन था कि उनको नाम बताना मात्र औपचारिकता रहेगी। इतनी व्यस्तता में उनको मेरे जैसे साधारण व्यक्ति का नाम क्या याद रहेगा। लेकिन मेरा आकलन असत्य था।
योगी जी ने कहा कि मैं आपके लेख मंगा कर पड़ता हूँ। मेरे लिए यह आश्चर्यजनक था। सोलह अठारह घण्टे कार्य करने वाले मुख्यमंत्री को मेरा नाम भी याद है, वह मेरे लेख भी देख लेते है। इसके बाद कई बार उनसे मिलने का अवसर मिला। हर बार एक बात समान लगी ऐसा लगा जैसे वह अपना प्रत्येक पल समाज के चिंता व सेवा में लगाने का प्रयास करते है। सन्यास व समाज की यह भावभूमि उन्हें लोगों के कष्ट पर व्यथित करती है। पूर्वी उत्तर प्रदेश की संचारी रोग आपदा का लोकसभा में वर्णन करते हुए उनकी आँखें छलक जाती है। मुख्यमंत्री बने तो इस समस्या के समाधान पर ध्यान दिया। इस मामले में अभूतपूर्व सफलता मिली है। कई क्षेत्रों में सत्तर से अस्सी प्रतिशत तक सुधार हुआ है। सुधार की प्रक्रिया जारी है। समाज के प्रति उनकी संवेदना अक्सर दिखाई देती है। उनके पूर्व आश्रम के पिता का निधन होता है। योगी को सूचना मिलती है, प्रदेश में कोरोना आपदा है, वह आपदा प्रबंधन की बैठक जारी रखते है, मन की व्यथा को रोकते है, आंसू पोछ लेते है। जरुरतमन्दों के भोजन इलाज आदि की व्यवस्था करते है।
प्रदेश की जनता के प्रति जिम्मेदारी का निर्वाह करते है। पूर्व आश्रम पिता के अंतिम संस्कार में नहीं जाते है। यही कारण है कि वह बार बार श्रमिकों से पैदल ना चलने की अपील करते है, सबसे पहले उत्तर प्रदेश में ही कम्युनिटी किचेन स्थापित किये जाते है, सबसे पहले गरीबों को भरण पोषण भत्ता दिया जाता है। सर्वाधिक कोविड़ अस्पताल व बेड उपलब्ध कराए जाते है, तीस लाख से अधिक श्रमिकों की सुरक्षित व सम्मान जनक वापसी होती है, उनके रोजगार की कार्ययोजना बनाई जाती है। योगी अधिकारियों को निर्देश देते है कि कम्युनिटी किचन के माध्यम से जरूरतमंदों को गुणवत्तापूर्ण तथा भरपेट भोजन उपलब्ध होना चाहिए।
उन्होंने जिलाधिकारियों के सहयोग के लिए शासन द्वारा नामित विशेष सचिव स्तर अधिकारियों को क्वारंटीन सेन्टर तथा कम्युनिटी किचन का नियमित निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
वह नए राशन कार्ड धारकों को तत्काल राशन उपलब्ध कराए जाने पर संतोष व्यक्त करते है। पहले नए राशन कार्ड बनने पर ऐसे कार्ड धारकों को लगभग दो माह बाद खाद्यान्न उपलब्ध होता था। वह कहते है कि प्रदेश में कोई भूखा न रहे। खाद्यान्न का सुचारु वितरण कराया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी दशा में घटतौली अथवा अन्य कोई अनियमितता न हो। अभियान चलाकर नए आवेदकों के राशन कार्ड बनाकर उन्हें भी खाद्यान्न उपलब्ध कराने के निर्देश देते हैं। निगरानी समितियों को सक्रिय रखने तथा मेडिकल स्क्रीनिंग का कार्य सघन रूप से संचालित करने के निर्देश देते है। सभी अस्पतालों में पीपीई किट, एन 95 मास्क, थ्री लेयर मास्क,ग्लव्स, सेनिटाइजर आदि मेडिकल सुरक्षा सामग्री की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।
चिकित्सालयों में आक्सीजन की सुचारु उपलब्धता तथा बायोमेडिकल वेस्ट के निस्तारण के समुचित प्रबन्ध किए जा रहे है।सभी जनपदों के लिए ट्रू-नैट मशीनें उपलब्ध हो जाने का संज्ञान लेते है।
कोरोना टेस्टिंग क्षमता को शीघ्र बढ़ाकर पन्द्रह हजार टेस्ट प्रतिदिन की जा रही है। प्रत्येक जनपद में सभी वेंटीलेटरों को क्रियाशील रखा जा रहा है। कोरोना आपदा के दौरान गेहूं किसानों को योगी सरकार ने किया चार हजार करोड़ रुपये का भुगतान किया।लाकडाउन के बाद भी युद्धस्तर पर गेहूं खरीद कराई गई। एफपीसी के माध्यम से किसानों के खेतों पर जाकर भी की गई गेहूं खरीद की गई। करीब साढ़े तीन लाख कुंतल गेहूं खरीदा गया।
लाकडाउन के दौरान ही किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर हुई करीब नौ हजार मीट्रिक टन चने की भी खरीद व उसका भुगतान किया गया। फसलों की कटाई के लिए कृषि यंत्रो को खेतों तक जाने की अनुमति दी गई थी। इससे किसानों को सुविधा हुई।
लाकडाउन के करीब सवा सौ चीनी मिलें संचालित रहीं। इस सत्र का गन्ना किसानों को बीस हजार करोड़ का भुगतान किया गया। इस सत्र में साढ़े ग्यारह लाख कुंतल गन्ने पेराई, रिकार्ड करीब बारह लाख कुंतल चीनी का उत्पादन हुआ। देश का शीर्ष चीनी उत्पादक प्रदेश बना। पिछले तीन सालों में योगी सरकार ने किया गन्ना किसानों को निन्यानबे हजार करोड़ का भुगतान किया गया। करीब चालीस हजार किसान इन चालू चीनी मिलों से सीधे जुड़े रहे। पच्छत्तर हजार लोगों को रोजगार मिला। गन्ना छिलाई में भी दस लाख श्रमिकों को प्रतिदिन रोजगार दिया गया। चार लाख किसानों को कोरोना आपदा के दौरान ही दो बार दी गई दो दो हजार की किसान सम्मान निधि दी गई। करोड़ लोगों के लिए अफोर्डेबल रेण्टल हाउसिंग काॅम्पलेक्स की सुविधा का लाभ दिलाने का प्रयास किया जाएगा।
उपयुक्त भवनों के ग्राउण्ड फ्लोर को छोड़कर प्रथम द्वितीय तथा अन्य तल पर अफोर्डेबल रेण्टल हाउसिंग काॅम्पलेक्स बनाने पर विचार किया जा सकता है। अफोर्डेबल रेण्टल हाउसिंग काॅम्पलेक्स स्कीम का प्रस्ताव तैयार किया जाएगी। स्कीम की सुविधा निर्धन छात्रों, पटरी दुकानदारों सहित औद्योगिक सेवा क्षेत्र एवं अन्य संस्थाओं में कार्यरत शहरी गरीबों को भी उपलब्ध करायी जाएगी