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बांग्लादेश में तख्तापलट की आहट?

सेना के 5 वरिष्ठ अफसर नजरबंद, शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट

शाश्वत तिवारी

बांग्लादेश (Bangladesh) की सत्ता और सेना के बीच तनाव (Tension Between Power And Army) की स्थिति एक बार फिर गहराती नजर आ रही है। सेना के पांच वरिष्ठ अधिकारियों (Five Senior Army Officers) को ढाका कैंटोनमेंट (Dhaka Cantonment) में नजरबंद (House Arrest) कर दिया गया है। इन पर हालिया छात्र आंदोलनों (Student Movements) में प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने का आदेश देने के आरोप हैं।

नजरबंद अफसरों में ब्रिगेडियर जनरल इमरान हामिद (पूर्व पीएम शेख हसीना के एडीसी), RAB के कर्नल अब्दुल्ला अल-मोमेन, ब्रिगेडियर जकारिया हुसैन, BGB के लेफ्टिनेंट कर्नल मोहम्मद रिदवानुल इस्लाम और ईस्ट बंगाल रेजिमेंट के मेजर मोहम्मद नोमान अल फारुक शामिल हैं।

सेना प्रमुख की गैरमौजूदगी में कार्रवाई

यह कार्रवाई ऐसे समय हुई जब बांग्लादेश आर्मी चीफ जनरल वकार उज-जमान 6 से 11 अप्रैल तक रूस के आधिकारिक दौरे पर थे। इस बीच सेना के भीतर अचानक यह बड़ी हलचल देखी गई। सूत्रों के अनुसार, सभी अधिकारियों को ‘ओपन अरेस्ट’ के तहत रखा गया है — यानी वे अपने सैन्य आवासों में 24 घंटे निगरानी में रहेंगे और कोई सक्रिय सैन्य भूमिका नहीं निभा सकेंगे।

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मोहम्मद यूनुस की भूमिका और अंतरराष्ट्रीय दबाव

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता डॉ मोहम्मद यूनुस लंबे समय से बांग्लादेश सरकार और सेना की भूमिका की आलोचना कर रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि उनकी अंतरराष्ट्रीय अपील और मानवाधिकार संगठनों के दबाव ने इस कार्रवाई को गति दी है। यूनुस खुद भी हाल ही में कानूनी चुनौतियों से जूझ रहे हैं।

शेख हसीना और परिवार के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट

ढाका की एक अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, उनकी बेटी साइमा वाजेद पुतुल और 17 अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इन पर धोखाधड़ी से आवासीय ज़मीन प्राप्त करने का आरोप है।

राजनीतिक अस्थिरता और सैन्य दखल की आशंका

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बांग्लादेश एक बार फिर 2007 जैसे हालात की ओर बढ़ सकता है, जब सेना ने सियासी अस्थिरता के बीच हस्तक्षेप किया था। इस बार भी छात्र आंदोलन, भ्रष्टाचार के आरोप और सैन्य हलचल मिलकर किसी बड़े परिवर्तन की पृष्ठभूमि तैयार कर सकते हैं।

नज़रें आगे के घटनाक्रम पर

अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह कार्रवाई सिर्फ आंतरिक अनुशासन का हिस्सा है या सत्ता के ऊपरी स्तर पर कोई बड़ा बदलाव होने वाला है। लेकिन इतना तय है कि बांग्लादेश की राजनीति में अगले कुछ हफ्ते बेहद अहम और अस्थिरता से भरे हो सकते हैं।

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