नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट के भीतर वकीलों की पोशाक से जुड़ी जनहित याचिका (PIL) पर विचार करने से इनकार कर दिया है। शीर्ष अदालत के समक्ष दायर पीआईएल में मांग की गई थी कि गर्मी के मौसम में वकीलों को काला कोर्ट और गाउन पहनने से छूट मिलनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर कहा कि कुछ ड्रेस कोड होना चाहिए। अदालतों में मुकदमों की पैरवी करने के दौरान वकील ‘कुर्ता-पायजामा’ नहीं पहन सकते।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की पीठ ने क्या कहा
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, आखिरकार यह शिष्टाचार का मामला है। आपको उचित पोशाक पहननी चाहिए। आप ‘कुर्ता पायजामा’ या शॉर्ट्स और टी-शर्ट में अदालतों में बहस नहीं कर सकते। पीठ ने जनहित याचिका दायर करने वाले वकील शैलेंद्र मणि त्रिपाठी से कहा कि वे इस मुद्दे पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI), राज्य बार काउंसिल और केंद्र को ज्ञापन सौंप सकते हैं। अदालत ने साफ किया कि इस मुद्दे पर बार काउंसिल निर्णय ले सकते हैं।
राजस्थान और बंगलूरू की जलवायु में काफी अंतर है, बार काउंसिल या सरकार से अपील करें
त्रिपाठी ने अपनी दलील में कहा कि वकीलों को गर्मियों में काले कोट और गाउन पहनने से छूट दी जा सकती है। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, राजस्थान की जलवायु बंगलूरू जैसी नहीं है। ऐसे में संबंधित बार काउंसिल को ही इस पर निर्णय लेने दें। तीन जजों की पीठ ने कहा, याचिकाकर्ता ड्रेस कोड में उपयुक्त संशोधन के लिए बार काउंसिल और सरकार सरकार के पास ज्ञापन भेज सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका पर तीन जजों की पीठ ने विचार करने से इनकार कर दिया। ऐसे में त्रिपाठी ने पीआईएल वापस लेने की अनुमति मांगी। सीजेआई चंद्रचूड़ की पीठ ने याचिका वापस लेने की अपील मंजूर कर ली।