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चालू खाता घाटा में आई कमी, वस्तु व्यापार का घाटा कम होने व सेवाओं का निर्यात बढ़ने से आई गिरावट

देश के चालू खाते का घाटा (कैड) 2023-24 की दूसरी तिमाही में कम होकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का सिर्फ एक फीसदी या 8.3 अरब डॉलर रह गया। मुख्य रूप से वस्तु व्यापार का घाटा कम होने और सेवा निर्यात बढ़ने से चालू खाते का घाटा कम हुआ है। आरबीआई के मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, 2022-23 की दूसरी तिमाही में यह 3.8 फीसदी या 30.9 अरब डॉलर रहा था। कैड चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 9.2 अरब डॉलर या 1.1 फीसदी था।

भारत के चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के दौरान भुगतान संतुलन की स्थिति पर जारी आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के दौरान भी कैड कम होकर जीडीपी का एक फीसदी रह गया। एक साल पहले की समान अवधि में यह घाटा जीडीपी का 2.9 फीसदी रहा था। आंकड़ों के मुताबिक, 2023-24 की दूसरी तिमाही में व्यापार घाटा (वस्तु निर्यात-आयात का अंतर) कम होकर 61 अरब डॉलर रहा। 2022-23 की दूसरी तिमाही में यह 78.3 अरब डॉलर रहा था। सॉफ्टवेयर निर्यात, व्यापार व यात्री सेवाएं बढ़ने से सेवा निर्यात 4.2 फीसदी बढ़ा। शुद्ध सेवा प्राप्तियां तिमाही और सालाना दोनों स्तर पर बढ़ी हैं।

प्रवासियों का जमा : 3.2 अरब डॉलर
आंकड़ों के मुताबिक, प्रवासी भारतीयों का जमा दूसरी तिमाही में बढ़कर 3.2 अरब डॉलर पहुंच गया। एक साल पहले की समान अवधि में यह रकम 2.5 अरब डॉलर रही थी। इसके अलावा, प्रवासियों की ओर से भारत में भेजी गई राशि भी 2.6 फीसदी बढ़कर 28.1 अरब डॉलर पहुंच गई।

शुद्ध एफडीआई : 4.9 अरब डॉलर
शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मोर्चे पर 0.3 अरब डॉलर की निकासी हुई है। एक साल पहले की समान अवधि में 6.2 अरब डॉलर का शुद्ध निवेश आया था। विदेशी संस्थागत निवेश 4.9 अरब डॉलर रहा, जो एक साल पहले के 6.5 अरब डॉलर से कम है।

उच्च सब्सिडी खर्च से बढ़ेगा राजकोषीय घाटा
चालू वित्त वर्ष में कर संग्रह में अच्छी वृद्धि के बावजूद महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) और सब्सिडी पर ऊंचे खर्च से राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है। रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने मंगलवार को कहा, 2023-24 में राजकोषीय घाटा निर्धारित लक्ष्य से अधिक 6 फीसदी रह सकता है। बजट में इसके जीडीपी का 5.9 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था। सरकार ने पोषक तत्व आधारित उर्वरक सब्सिडी पर 44,000 करोड़ खर्च का अनुमान रखा था। इसे बढ़ाकर 57,360 करोड़ किया गया है। मनरेगा के लिए आवंटित 60,000 करोड़ के मुकाबले 79,770 करोड़ खर्च हो चुके हैं।

कर संग्रह के मोर्चे पर अच्छी वृद्धि

इंडिया रेटिंग्स ने कहा, चालू वित्त वर्ष में कर संग्रह बजट अनुमान का 11.7 फीसदी अधिक रहने की उम्मीद है।
अप्रैल-अक्तूबर में ही संग्रह बजट अनुमान का 60 फीसदी पहुंचा।
इसकी वजह कर आधार बढ़ना, बेहतर अनुपालन व कर संग्रह प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल है।
एजेंसी के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने कहा, 2023-24 में यह 23.3 लाख करोड़ के बजट अनुमान के मुकाबले 24.5 लाख करोड़ तक पहुंच जाएगा। इससे कर/जीडीपी अनुपात के बढ़कर 8.81 फीसदी तक पहुंचने में मदद मिलेगी। बजट अनुमान 7.72 फीसदी।

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