देश के पेट्रोल पंपों में ग्राहकों को कम पेट्रोल देना और विभिन्न तरीके अपनाकर तौल में गड़बड़ी करना सामान्य बात है. लेकिन अब पेट्रोल पंप मालिकों को ग्राहक को कम पेट्रोल देना मंहगा पड़ सकता है. ग्राहक की शिकायत पर पंप को लाइसेंस तक निरस्त हो सकता है.
जानकारी के अनुसार देश में लागू हुये नये उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 में निहित प्रावधानों के अनुसार चोरी करने वाले पेट्रोल पंप संचालकों पर नकेल कसना शुरू हो जाएगी. अब पेट्रोल पंप पर पेट्रोल या डीजल मानक के अनुसार मिलेंगे. अगर ग्राहक शिकायत करते हैं तो पेट्रोल पंप पर जुर्माना के साथ उसका लाइसेंस भी रद्द हो सकता है.
देश में तेल के चोरी का खेल छोटे शहरों से लेकर बड़े शहरों और गांवों तक फैला है. पेट्रोल पंप संचालक कई तरह से उपभोक्ताओं को चूना लगाते हैं. सामान्यत: लोग अक्सर पेट्रोल-डीजल लीटर से नहीं बल्कि रुपये से भरवाते हैं. फिक्स रुपये जैसे 100 रुपये, 500 रुपये या 2000 हजार का तेल देने के लिए कहते हैं. ग्राहक को पता नहीं होता है कि इस फिक्स रुपये पर बोलने पर पहले से ही पेट्रोल पंप संचालकों के द्वारा चीप लगाकर लीटर घटा दिया जाता है. इससे ग्राहक ठगे जाते हैं.
नए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम कानून 2019 के अनुसार अब मिलावटी या नकली उत्पादों के विनिर्माण या बिक्री के लिए सख्त कड़े नियम तय किए गए हैं. अब अगर ग्राहक कम तेल मिलने की शिकायत करते हैं तो उपभोक्ता कानून में किसी सक्षम न्यायालय द्वारा दंड का प्रावधान किया गया है.
पहली बार न्यायालय में दोषसिद्ध होने पर पेट्रोल पंप मालिक का लाइसेंस दो साल तक की अवधि के लिए निलंबित किया जा सकता है. अगर दूसरी या उसके बाद भी पेट्रोल पंप मालिक के खिलाफ शिकायत आती है तो स्थाई तौर पर लाइसेंस रद्द किया जा सकता है.