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आंतरिक लोकतंत्र के अंतर्गत दत्तात्रेय बने सर कार्यवाह

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की संचालन व्यवस्था विलक्षण है। इसमें कोई पद नहीं होता,बल्कि दायित्व होता है। इस शब्द का भावनात्मक प्रभाव दिखाई देता है। इसमें लालसा या लिप्सा नहीं रहती,बल्कि कर्तव्य पालन की भावना होती है,दायित्व बोध रहता है। शीर्ष दायित्वों के साथ भी वैभव के आडंबर नहीं होते। सादगी की मिसाल ऊपर से नीचे तक सर्वत्र होती है। किसी भी स्तर पर वैमनस्य नहीं होता,क्योंकि इस संगठन का ध्येय राष्ट्र को परम वैभव के पद पर पहुंचाना है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सरसंघचालक के बाद सरकार्यवाह का दायित्व सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। चुनाव में कोई प्रदर्शन नहीं होता।

किसी भी प्रकार के समीकरण की कल्पना भी नहीं की जाती। चुनाव प्रक्रिया में केंद्रीय कार्यकारिणी क्षेत्र व प्रांत के संघचालक, कार्यवाह व प्रचारक और संघ की प्रतिज्ञा किए हुए सक्रिय स्वयंसेवकों की ओर से चुने गए प्रतिनिधि शामिल होते हैं। सभी को अपना मत व्यक्त करने का अधिकार होता है। इससे पहले भय्याजी जोशी सरकार्यवाह थे। तीन वर्ष पूर्व हुए चुनाव में भय्याजी ने सरकार्यवाह के दायित्व से मुक्त करने का आग्रह किया था,लेकिन उन्हें फिर से यह दायित्व देने का निर्णय लिया था।

दत्तात्रेय का परिचय

दत्तात्रेय होसबले को सर कार्यवाह चुना गया। जन्म एक दिसंबर 1954 को कर्नाटक में हुआ था। 1968 में वह शिवमोंगा जनपद में संघ के स्वयंसेवक बने। 1978 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्णकालिक सदस्‍य बने। 1990 में प्रचारक की घोषणा हुई। अंग्रेजी में एमए है। विद्यार्थी परिषद में क्षेत्रीय और राष्ट्रीय महामंत्री के साथ ही अखिल भारतीय संगठन मंत्री भी थे। संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख भी रहे हैं। उसके बाद सह सरकार्यवाह का दायित्व संभाला।

बेंगलुरु में बैठक

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की दो दिवसीय बैठक बेंगलुरु के चेन्नहल्ली जनसेवा विद्या केंद्र में सम्पन्न ही। डॉ.मनमोहन वैद्य ने बताया कि संघ में चुनावी प्रतिनिधि सभा अक्सर नागपुर में आयोजित होती है लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस बार यह बैठक बेंगलुरु में आयोजित की गई है। सह सरकार्यवाह ने बताया कि प्रतिनिधि सभा में 1500 लोग अपेक्षित रहते हैं लेकिन कोरोना का संकट अभी समाप्त नहीं हुआ है, इसलिए पहले से ही ध्यान में रखकर तय किया गया और न्यूनतम आवश्यकता को देखते हुए 450 लोगों को बुलाया गया है। साथ ही तीन दिन के स्थान पर दो दिन की बैठक रखी गई है। संघ कार्य की दृष्टि से 44 प्रांत बनाए हैं, इन प्रांतों के निर्वाचित प्रतिनिधि व अन्य लगभग एक हजार लोग 44 स्थानों से ऑनलाइन माध्यम से बैठक में जुड़ेंगे।

कोरोना काल में सेवा कार्य

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के निःस्वार्थ सेवा कार्य प्रसिद्ध है। कोरोना महामारी के दौरान हुए सेवा कार्यों की जानकारी साझा करते हुए डॉ.वैद्य ने दी। बताया कि सेवा भारती की ओर से देश के 92 हजार 656 स्थान पर सेवा कार्य संपन्न हुए। इस कार्य को करने के लिए 5 लाख 60 हजार स्वयंसेवक लगे थे। संघ की ओर से पूरे देश में 73 लाख राशन किट बांटे गए, वहीं 4 करोड़ 50 लाख फूड पैकेट का वितरण किया गया।

लॉकडाउन के दौरान संघ की ओर से 20 लाख प्रवासी मजदूरों की सहायता की गई। संघ शाखा संबंधित गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए वैद्य ने कहा कि कोरोना संकट के बाद बीते जुलाई से संघ कि 89 प्रतिशत शाखाएं फिर से सक्रिय हुई है। देश में 6 हजार 495 तालुका खंड है, उनमें से 85 प्रतिशत जगहों पर शाखाएं है। वहीं 58 हजार 500 मंडलों में से 60 प्रतिशत स्थानों पर शाखाएं लगती है। अन्य मंडलों से नियमित संपर्क किया जाता है।

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