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10 माह तक जीवित रह सकते हैं डेंगू के अंडे

• विशेषज्ञों ने कहा कि लार्वा का खात्मा ही है पूर्ण इलाज
• जीका वायरस के सोर्स की पहचान के लिए सर्वे टीम लगीं
• संचारी रोगों की रोकथाम के लिए विभाग चला रहा अभियान

कानपुर। मच्छर जनित रोगों की रोकथाम के लिए जिले में सभी स्तरों पर कार्य किया जा रहा है। डेंगू, मलेरिया व अन्य संचारी रोगों पर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग क्षेत्रों में बुखार के रोगियों की पहचान और उपचार के लिए स्वास्थ्य कैंप, लार्वानाशक छिड़काव, फॉगिंग और सोर्स रिडक्शन कार्यवाही के साथ ही समुदाय को जागरूक भी कर रही है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नैपाल सिंह ने बताया कि जिले में संचारी रोगों के नियंत्रण के लिए आवश्यक सभी कार्य किये जा रहे हैं। जिले में 26 अक्टूबर तक डेंगू के 452 मामले सामने आये हैं, इसमें से 406 मरीज़ ठीक भी हो चुके हैं और एक्टिव केस वाले मरीजों का उपचार चल रहा है। डेंगू व अन्य मच्छर जनित रोगों की पहचान के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रतिदिन स्वास्थ्य कैंप लगाकर सैम्पल लेकर उर्सला तथा मेडिकल कॉलेज भेजे जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ज़ीका वायरस के स्रोत का पता लगाने के लिए सर्वे कराया जा रहा है जिसके लिए 70 टीमें और सोर्स रिडक्शन के लिए 20 टीमें भी लगाई गई हैं।

जिला मलेरिया अधिकारी ए.के.सिंह ने बताया कि जिले में विभिन्न क्षेत्रों, खासकर जिनमें डेंगू संक्रमित मरीज़ मिले हैं उन क्षेत्रों में स्वास्थ्य कैंप लगा कर बुखार के मरीजों की जांच कराई जा रही है और सैंपल जांच के लिए भेजे जा रहे हैं। उन्होंने बताया की डेंगू या किसी भी संचारी रोग का संक्रमण फैलने का सबसे बड़ा कारण मच्छरों के स्रोत का पूरी तरह से ख़त्म न होना है। हमारे घरों में और आसपास ऐसी बहुत सी जगहें होती हैं, जहाँ पानी जमा हो जाता है और मच्छर पनपने लगते हैं। यदि नियमित रूप से इसकी जांच की जाए तो मच्छरों को पनपने से रोका जा सकता है और डेंगू, मलेरिया व अन्य मच्छर जनित बीमारियों से बचा जा सकता है।

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि संचरी रोगों की रोकथाम के लिए सोर्स रिडक्शन सबसे कारगर है। उन्होंने बताया डेंगू के अन्डे में ख़ास बात होती है कि वह 8 से 10 महीने तक निष्क्रिय अवस्था में रह सकता है और पानी के संपर्क में आते ही उसका जीवन चक्र पुनः शुरू हो जाता है। जब हम मच्छर पनपने के स्रोत ख़त्म करते हैं तो वहाँ जमा पानी खाली करते हैं और दवा का छिड़काव करते हैं। लेकिन सभी स्रोतों में ऐसा नहीं हो पाता, यदि कहीं आसपास, घर में, कूलर, गमले, बोतल आदि में पानी जमा होता है और उसमें डेंगू के अन्डे होते हैं तो पानी खाली करने पर अंडे स्रोत में ही चिपके रह जाते हैं, यदि हम उस पानी को जमीन पर फेंक देते हैं और वह पानी किसी गड्ढे, तालाब, पोखर या नाली में जमा हो जाता है तो अन्डे दोबारा सक्रिय हो सकते हैं। इसलिए आवश्यक है कि घर या आसपास पानी जमा न होने दें, कूलर, टायर, फ्रिज की ट्रे, बोतल, टूटे बर्तन आदि को नियमित रूप से खाली किया जाए और सुखाया जाए। कूड़ा-कचरा जमा न होने दिया जाए और मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ न बन्ने दी जाए।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर

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