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श्रद्धालुओं ने महाशिवरात्रि के अवसर पर आस्था को दिया देश भक्ति का रंग, तिरंगे के रंग में सजायी कांवड़ से जल भरने निकला भोलेनाथ का भक्त

• महाशिवरात्रि पर शनिवार के दिन किया जायेगा भोलेनाथ का जलाभिषेक

प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी शिव भक्त महाशिवरात्रि के लिए बडे ही धूमधाम व उत्साह के साथ बम बम भोले के जयकारों के साथ कांवड लेकर निकल पड़े है। 18 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन श्रद्धालु भोले बाबा का जलाभिषेक करेंगे। कस्बा बिधूना के शिव भक्त प्रतिवर्ष सैकड़ों की तादाद में कावड़ यात्रा में शामिल होते हैं।

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इस बार भी कस्बे से श्रद्धालुओं ने कावड़ यात्रा के लिए ढोल नगाड़े की धुन पर थिरकते हुए बाबा भोलेनाथ के दर्शन करके यात्रा प्रारंभ कर दी है। वही तिरंगा कांवड़ आकर्षक का केंद्र रही।

महाशिवरात्रि

शिव भक्त कस्बे के सुप्रसिद्ध शंकर मंदिर पहुंचकर बाबा के दर्शन करके श्रृंगीरामपुर से गंगाजल लेने के लिए पैदल यात्रा प्रारंभ की, वहाँ से जल लेकर वापस आकर अपनी अपनी मन्नत के अनुसार जलाभिषेक करते हैं।

सभी श्रद्धालुओं ने अछल्दा रोड स्थित शंकर मंदिर से कांवड़ उठानी शुरू की, जिसमें कस्बा के मोहल्ला किशोरगंज निवासी अन्नू सक्सेना ने अपनी कांवड़ को तिरंगा रंग व फूल मालाओं के साथ सजा कर आस्था में देश भक्ति का तढक लगाया, तिरंगी कांवड़ ही कांवड़ यात्रा में आकर्षक का केन्द्र बनी हुई है।

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अन्नू सक्सेना ने बताया कि मैं अपनी कांवड में श्रृंगीरामपुर से गंगा जल भरकर शिव मंदिर में #महाशिवरात्रि के दिन जलाभिषेक करूंगा। इसको लेकर श्रद्धालुओं में अभी से उत्साह दिखने लगा है।

महाशिवरात्रि

अछल्दा निवासी जितेंद्र सिंह ने बताया कि मैं अपने साथियों के साथ श्रृंगीरामपुर कांवड़ में जल भरने के लिए जा रहा हूं। मैं पहली बार बार कांवड़ यात्रा में शामिल हो रहा हूँ जबकि मेरे कई साथी इससे पहले कई बार जा चुके हैं। मेरी भोले बाबा से ययही प्रार्थना है कि सभी लोग खुश रहें, समृद्ध रहे।

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बिधूना के गांव सोहनी से निकाली गयी कांवड़ यात्रा में भी भारी भीड़ और उत्साह देखने को मिला। भक्त राजू ने बताया हम लोग प्रति वर्ष श्रृंगिरामपुर से गंगा जल भर कर लाते है और अपने गाँव के ही शंकर मंदिर पर भोलेनाथ का #जलाभिषेक करते है। इस बार कुछ नए श्रद्धालु भी जा रहे जो बहुत उत्साहित हैं।

महाशिवरात्रि

पंडित श्याम प्रकाश अग्निहोत्री ने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार इस शिवरात्रि को शिवलिंग का प्राकट्य हुआ था। जबकि सावन में पड़ने वाली महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिवशंकर ने समुद्र मंथन से निकले विष का पान किया था। इस लिहाज से महाशिवरात्रि का विशेष महत्व होता है।

रिपोर्ट – संदीप राठौर चुनमुन

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