लालगंज-रायबरेली। क्षेत्र के बाल्हेश्वर मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में सोमवार को पं. झिलमिल महाराज ने कहा कि महापुराण 18 पुराणों में सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें भगवान विष्णु के अवतार और श्रीकृष्ण की लीलाओं के अलावा भगवान की भक्ति एवं भक्तों की मुक्ति
के मार्ग भी बताए गए हैं।
महाराज ने कहा कि शास्त्रों में परमात्मा के तीन स्वरूप बताए गये हैं। पहला सत्य, दूसरा चित और तीसरा आनंद। जड़ वस्तुओं में सत, चित तो होता है, लेकिन आनंद नही है। जीव में सत, चित प्रगट रहता है लेकिन आनंद अप्रगट रहता है। आनंद जीव के अंदर ही होता है, लेकि
न अज्ञानता के चलते जीव आनंद की खोज बाहर ही करता रहता है। जीव ईश्वर का ही अंश है, लेकिन वह ईश्वर को पहचानने का प्रयत्न नहीं करता। उन्होंने भक्तों को काम, क्रोध, लोभ व मोह से दूर रहने का संकल्प दिलाया। कलयुग में काम, क्रोध व लोभ सर चढ़कर बोल रहा है। जिसका अंत केवल भागवत कथा रूपी सत्संग के रसपान से ही हो सकता है।इस मौके पर शिवबरन सिंह, रमेश माली, दीनानाथ यादव, विवेक दुबे, मनोज पाण्डेय, गोकुल सिंह, प्रदीप तिवारी, आदि सहित बडी संख्या में लोग मौजूद रहें ।
रिपोर्ट: गब्बर सिंह