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डीएम पर लगा भू-माफियाओं के संरक्षण का आरोप

बहराइच। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सत्ता की कमान संभालते ही प्रदेश में भू-माफियाओं को चिन्हित कर उनके विरुद्ध सख्त कार्यवाही करने का फरमान जारी किया था। एक पल के लिये ही सही लेकिन आम जनता को लगा था कि अब प्रशासन योगी सरकार के इस निर्देश के बाद भू-माफियाओं को चिन्हित कर उनके विरुद्ध न सिर्फ कठोर कार्रवाई करेगा, बल्कि उन्हें जेल की सलाखों के भीतर करेगा। लेकिन जनता की उम्मीदें ज़्यादा समय तक नहीं टिक सकीं। जहां ईमारदार अफसर थे वहां पर तो ये फरमान दिखता नजर आया। लेकिन जहां भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों का जमावड़ा है, वहां पर योगी जी का आदेश धुआं होता दिखाई पड़ा। यही नहीं कई जिले ऐसे हैं जहां आज भी बड़बोले और मुंह लगे भ्रष्ट अधिकारी और कर्मचारी अपनी साख बनाये हैं। अपनी पहुंच के चलते आम जनता को केवल शिकायती पत्र लेकर चप्पल खिसने के सिवा कुछ हासिल होता दिखाई नहीं पड़ रहा है।

जिनके कंधे पर जिम्मेदारी वही दे रहे संरक्षण

योगी सरकार के निर्देश के बाद से जिलाधिकारी महोदय द्वारा जनपद में भू-माफियाओं को चिन्हित कर उनके खिलाफ विशेष अभियान चलाने की खबरें लोगों ने खूब देखी, सुनी और पढ़ी। लेकिन जब जिलाधिकारी पर ही भू-माफियाओं के संरक्षण करने का गम्भीर आरोप लग रहा हो, तो ऐसे में जनता को का क्या होगा? कहने को तो जनता पर नियंत्रण और जिले में नियम कानून बनाये रखने के लिए अधिकारियों कर्मचारियों की जिम्मेदारी सरकार सौंपती है। लेकिन उनके संरक्षण के बगैर कोई गैर कानूनी काम नहीं होता है।

सरकार जब तक उनकी जिम्मेदारी तय नहीं करती है। भ्रष्टाचार दूर होने वाला नहीं हैं। कोई गलत काम होने पर आम जनता के ऊपर ठीकरा फोड़कर अपने हाथ समेट लेते हैं। लेकिन असली जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी जिनको जनता की गाढ़ी कमाई की सैलरी देकर भ्रष्टाचार को रोकने के लिए नियुक्त किया जाता है। वह उसे रोकने के बजाय बढ़ावा देते हैं। उसके बाद उसमें भी लूट खसोट करते हैं।

जिलाधिकारी पर नगर मजिस्ट्रेट ने लगाया आरोप

जिलाधिकारी पर किसी दूसरे ने नहीं बल्कि खुद नगर मजिस्ट्रेट साहब ने ही लगाया है। दरअसल मामला एक कॉलेज में बिना मानचित्र स्वीकृत कराये दुकानों का अवैध निर्माण कराने का है जिसे रुकवाने के बजाए नगर मजिस्ट्रेट साहब ने जिलाधिकारी महोदय के आदेशों का पालन करने की बात कह कॉलेज में हो रहे अवैध निर्माण कार्य को जारी रहने दिया। वह भी तब जब इस निर्माण कार्य का विरोध बीतेे 12 दिसम्बर 2017 को खुद नगर मजिस्ट्रेट महोदय को शहरवासियों का सामूहिक रूप से हस्ताक्षरित एक शिकायती प्रार्थना पत्र दिया जा चुका है।

अवैध निर्माण कराने वालों के आगे नतमस्तक जिला प्रशासन के खिलाफ व निर्माण के खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है। जनपद में इन दिनों अतिक्रमण हटाओ अभियान ज़ोरों पर है। नगर मजिस्ट्रेट महोदय की अध्यक्षता में जिला प्रशासन ठेले-खुंचे व व्यापारियों के प्रतिष्ठानों के छाजन छज्जों पर बुल्डोजर चला उन्हें ध्वस्त कर रहा है। लेकिन जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग से लगे मोहल्ला चांदपुर में स्थित आज़ाद इण्टर कॉलेज में हो रहे बिना मानचित्र स्वीकृत कराये अवैध निर्माण कार्य को ध्वस्त करना तो दूर उसे रोकने की हिम्मत न तो नगर मजिस्ट्रेट साहब उठा पा रहे हैं और न ही जिला प्रशासन।

जिलाधिकारी के आगे नतमस्तक नगर मजिस्ट्रेट

बताते चलें 12 दिसम्बर 2017 को सामूहिक रूप से हस्ताक्षरित एक लिखित शिकायती प्रार्थना पत्र नगर मजिस्ट्रेट साहब को दिया गया था जिसमे कॉलेज परिसर में हो रही अवैध दूकानों के निर्माण को न सिर्फ रुकवाने बल्कि उसे ध्वस्त करने की गुहार लगाई गयी थी उसके बावजूद भी निर्माण कार्य जारी है। किसी को क्या मालूम था जिस निर्माण को रुकवाने के लिये दिया गया है। उसकी निगहबानी खुद जिला प्रशासन ही कर रहा है। समाजिक कार्यकर्ता सलीम सिददीकी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक लिखित शिकायती पत्र लिखा है। जिसमें जिला प्रशासन पर भू-माफियाओं को संरक्षण देने का गम्भीर आरोप लगाया है।

उनका कहना है कि आज़ाद इण्टर कॉलेज में लगभग 40 दुकानों का बिना मानचित्र स्वीकृत कराये अवैध तरीके से निर्माण कराया जा रहा है। जिसकी जिला प्रशासन को लिखित शिकायती प्रार्थना के माध्यम से पूर्व में ही जानकारी दी जा चुकी है। उसके बावजूद भी जिला प्रशासन निर्माण कार्य बंद नहीं करा रहा है। उनका कहना है कि कई दशकों से आज़ाद इण्टर कॉलेज सरकार द्वारा अनुदानित एवं वित्तपोषित स्कूल संचालित है। कॉलेज के फ्रंट पर प्रबन्ध समिति द्वारा बिना मानचित्र स्वीकृत कराये अवैध तरीके से दुकानों का निर्माण कराया जा रहा है। इस संबंध में जब नगर मजिस्ट्रेट साहब से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देशानुसार निर्माण कार्य हो रहा है जिसे रोकने व उसमें हस्ताक्षेप करने से उन्होंने साफ मना कर दिया।

प्रशासन खुद कर रहा नियमों की अनदेखी

आम तौर पर किसी भी निर्माण के सम्बंध में नियत प्राधिकारी बिना स्वीकृति के हो रहे निर्माण कार्य को रोक धारा 133 की नोटिस जारी कर देता है। वहीं नियमानुसार नगरीय क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग के सेंटर से 60-60 फिट सड़क के दोनों तरफ छोड़ने के बाद ही कोई नवनिर्माण सम्भव है। लेकिन आज़ाद इण्टर कॉलेज में राष्ट्रीय राजमार्ग के सेंटर से महज 20 फिट की दूरी पर बिना मानचित्र स्वीकृति के ही निर्माण कार्य जारी है। जिसे न रोकना जिला प्रशासन की कार्यशैली पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा कर रहा है।

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