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रुक्मिणी अष्टमी पर बन रहे शुभ योग करे ये उपाय पूरी होगी हर मनोकामना

पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रुक्मिणी अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी ने रुक्मिणी के रूप में द्वापर युग में जन्म लिया था। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से विवाह किया था। इस बार रुक्मिणी अष्टमी का पर्व शुक्रवार (16 दिसंबर 2022) को आ रहा है, जिसके कारण यह और भी अधिक महत्वपूर्ण बन गया है।

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श्रीकृष्ण की पटरानी थी देवी रुक्मिणी

भगवान कृष्ण की आठ रानियां मानी जाती हैं, इनमें देवी रुक्मिणी को पटरानी कहा गया है। उन्होंने अपने परिवार के विरुद्ध जाकर कृष्ण से विवाह किया था। आचार्य अनुपम जौली के अनुसार इस बार रुक्मिणी अष्टमी शुक्रवार को आ रही है। ऐसे में यदि कुछ आसान से उपाय कर लिए जाएं तो व्यक्ति का जीवन जीते जी स्वर्ण बन जाएगा।

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इस बार रुक्मिणी अष्टमी के पर्व पर सर्वार्थसिद्धि योग और लक्ष्मीनारायण योग बन रहे हैं। इन योगों में यदि भगवान श्रीहरि सहित रुक्मिणी की युगल रूप में पूजा करनी चाहिए। इससे निश्चित रूप से व्यक्ति के जीवन का कल्याण होता है।

रुक्मिणी अष्टमी पर करें व्रत

शास्त्रों में इस दिन व्रत करने का विधान बताया गया है। इस व्रत में नमक को पूर्णतया निषेध किया गया है। इस दिन केवल फलाहार व मीठा भोजन ही लेना चाहिए। व्रत के दिन ही किसी छोटी कन्या को घर बुलाकर घर का बना सात्विक भोजन कराएं। भोजन के बाद यथासंभव दक्षिणा, वस्त्र आदि देकर पैर छुएं और आशीर्वाद लेकर विदा करें। इस व्रत को करने से घर में कभी गरीबी नहीं आती है।

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इस दिन कर सकते हैं ये उपाय भी

शुक्रवार को रुक्मिणी अष्टमी आने के कारण आप शुक्रवार के उपाय भी कर सकते हैं। विशेष पर्व होने के कारण इन उपायों को आपको अधिक लाभ मिलेगा।

  • इस दिन व्रत करें और ऐसी कन्या, जो भिखारी हो, बहुत छोटी उम्र की हो, उसे घर बुलाकर अपने हाथ से सम्मान के साथ भोजन कराएं। उन्हें वस्त्र, दक्षिणा आदि देकर पैर छूकर विदा करें। इस उपाय से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर सौभाग्य का वरदान देती है।
  • रुक्मिणी अष्टमी के दिन व्रत करें। इसके बाद सांयकाल पान के पत्ते पर कपूर और लौंग जलाकर मां लक्ष्मी की आरती करें। उन्हें पुष्पमाला, कमलपुष्प, धूप, दीपक आदि समर्पित करें। आरती के पश्चात् उन्हें खीर, नारियल और बताशा प्रसादस्वरूप अर्पित करें। ऐसा करने से पूरे वर्ष मां लक्ष्मी के आशीर्वाद से घर के सब भंडार भरे रहते हैं।
  • इस दिन कनकधारा स्रोत और श्रीसूक्त का पाठ करें। इसके बाद आप इस पाठ को नियमित रूप से कर सकते हैं। ऐसा करना आपके और आपके परिवार के लिए सुख, सौभाग्य और समृद्धि लेकर आता है।

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