लालगंज/रायबरेली। शब्द छाँव साहित्यिक संस्था के संरक्षक श्रवण कुमार पाण्डेय के संयोजन और अवध किशोर त्रिपाठी सौमित्र के आयोजन में ग्राम बहूपुर में विराट कवि सम्मेलन सम्पन्न हुआ।कार्यक्रम की अध्यक्षता लखनऊ के प्रख्यात रचनाकार रवि मोहन पाण्डेय ने की।मुख्य अतिथि सरेनी के विधायक धीरेन्द्र बहादुर सिंह तथा संचालन श्रेष्ठ रचनाकार सतीश कुमार सिंह ने की। वाणी वन्दना फतेहपुर से पधारे कवि समीर शुक्ल ने की।इसके बाद उमाकान्त ने अपनी कविता, हाथों में लिए कब से हम पतवार बैठे हैं, फँसी मझधार में कश्ती बडे लाचार बैठे हैं पढ़कर, कवि सम्मेलन को गति दी।इसके पश्चात बैसवारे के मधुर गीतकार सुनील सरगम ने पढा, कमल कमण्डल अरु कृपाण की धरती ये अलबेली है। तूफानों से खेली है ये मेरी रायबरेली है,इस पर श्रोता झूम उठे।
सतीश कुमार सिंह ने जब अपनी कविता, ’’सब के सब तैयार हैं माटी पे मिटने के लिए, मौत की चादर लपेटे तुम कहाँ तक जाओगे’’ पढी तो पाण्डाल तालियों की गडगडाहट से भर गया। घनश्याम सिंह श्याम ने पढा कथनी, करनी में अन्तर है औ दागी उनके दामन हैं, कल तक भूँजी भाँग नहीं थी आज तो बीघे बावन हैं। समीर शुक्ल ने यह कविता पढ़कर समाज को संदेश दिया, बनो भरत के राम,राम के लखन शतुघन भाई, हेइन का हेइन धरा रहि जाई जब होइज इहौ टैंयाँ। श्रवण कुमार पाण्डेय ने पढा,एक रात चाँदनी पूरी रात चाँदनी खील सी बिखरती रही,दबी दबी चाहतें लहर लहर बिखरती रहीं।
नवीन शुक्ल नवीन ने कविता पढ़कर कवि सम्मेलन को ऊँचाई दी,छाँव उनके साथ जो लगती रही.हो मखमली, वो गए क्या प्रीति तरु के तल कटीले हो गए। इसके अतिरिक्त अनिल निर्झर, शशि बाला श्रीवास्तव और रविमोहन अवस्थी जी ने अपने काव्य पाठ से अन्त तक श्रोताओं को बाँधे रखा।इस अवसर पर सौमित्र एवं शिव शंकर वर्मा की कृतियों का.विमोचन भी हुआ। स्वयम्बर सिंह, हरि बख्श सिंह, सीताराम सिंह, सुशील शुक्ल, प्रेम शंकर त्रिपाठी, बलदेव सिंह सागर, सुशील सिंह बच्चा लाल डा.मनीष सिंह आदि की उपस्थिति ने कार्यक्रम की भव्यता बढाई।
रिपोर्ट-दुर्गेश मिश्रा