लखनऊ। वरिष्ठ इतिहासकार, अवध के इनसाइक्लोपीडिया पद्मश्री डाo योगेश प्रवीन के निधन पर गांधी भवन, बाराबंकी में शोक सभा का आयोजन किया गया। सभा की अध्यक्षता कर रहे समाजवादी चिंतक राजनाथ शर्मा ने बताया कि प्रख्यात इतिहासकार डॉ. योगेश प्रवीन की निगाह और कलम से लखनऊ का शायद ही कोई पहलू अनछुआ रहा होगा। लखनऊ के इतिहास,उसकी इमारतें, शायरी, नवाबों के बारे मे उनके पास जानकारियों का पिटारा था। उनकी किताबें दस्तावेज बन गई हैं। वे खुद भी लखनऊ को ही जीते थे। वह सादगी की जीती जागती मिसाल थे।
पद्मश्री डॉ. योगेश प्रवीन के निधन पर दी गई श्रद्धांजलि
श्री शर्मा ने कहा कि वर्ष 2018 में गांधी जयंती समारोह के दौरान आयोजित सामाजिक सहभागिता सम्मान में डॉo योगेश प्रवीन को मनु शर्मा हिंदी साहित्य सम्मान से विभूषित किया गया था। उसके बाद उन्हें भारत का सर्वश्रेष्ठ सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किए गए। इतने सारे प्रतिष्ठित सम्मान मिलने पर भी उनका वही लखनवी अंदाज हमेशा बरकरार रहा। उनके जीवन और कार्यों के ऊपर बहुत शोध हो चुके हैं पर उनकी विनम्रता और संजीदगी मे कोई कमी नहीं। योगेश जी का जाना एक युग का पटाक्षेप हो जाना है। लखनवी तहजीब को बचा कर रखना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
इस मौके पर प्रमुख रूप से वरिष्ठ अधिवक्ता बृजेश दीक्षित, पाटेश्वरी प्रसाद, मृत्युंजय शर्मा, विनय कुमार सिंह, साकेत मौर्य, सत्यवान वर्मा, हुमायूं नईम खान, मो तौफीक अहमद, पीके सिंह, नीरज दूबे, रंजय शर्मा, अनिल यादव, मनीष सिंह, संतोष शुक्ला सहित कई लोगों ने शोक संवेदनाएं व्यक्त की।
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