राष्ट्रपति पद हेतु राजग उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू ने नामांकन किया. इसमें अनेक पार्टियां उत्साह के साथ सहभागी हुई. इस आधार कहा जा सकता है कि उनकी जीत सुनिश्चित है. चुनाव की नौबत विपक्ष के नकारात्मक रुख के चलते आई है.वैसे द्रोपदी मुर्मू ने अपने भावी दायित्व के अनुरूप गरिमा दिखाई. उन्होंने समर्थन के लिए विपक्ष के कई दिग्गजों को फोन किया.
वह जानती हैं कि विपक्ष के उम्मीदवार उतारने के बाद भी उनकी जीत आसान ही रहेगी. फिर भी उन्होंने सकारत्मक व्यवहार किया.उनकी इस सहजता का विपक्षी दलों के अनेक नेता प्रभावित हुए है. बहुत सम्भव है कि द्रोपदी मुर्मू को अन्तरात्मा की आवाज पर अनेक विपक्षी सांसद विधायकों के वोट मिल सकते हैं.
वैसे उनके नामांकन का दृश्य ही विजय का संदेश देने वाला था. इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्रियों समेत भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल हुएनामांकन से पहले द्रौपदी मुर्मू ने संसद भवन परिसर स्थित महात्मा गांधी, बाबा साहेब डॉ भीम राव अंबेडकर और बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए.
इसके बाद राज्यसभा महासचिव और पीठासीन अधिकारी पीसी मोदी के समक्ष उन्होंने चार सेट में नामांकन दाखिल किया. इस अवसर पर नरेन्द्र मोदी, जेपी नड्डा, अमित शाह, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, धर्मेन्द्र प्रधान, भूपेन्द्र यादव, गिरिराज सिंह, गजेन्द्र सिंह शेखावत, अर्जुन मुंडा, अश्वनी चौबे तथा संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, अर्जुन राम मेघवाल समेत कई अन्य केंद्रीय मंत्री शामिल रहे.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा भी शामिल रहे. बिहार की उपमुख्यमंत्री रेणू देवी समेत जनता दल यूनाईटेड के अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ लल्लन सिंह भी उपस्थित रहे. इसके साथ ही राजग के घटक दलों के नेता, सांसद तथा ओडिशा सरकार के मंत्री तथा तमाम सांसद उपस्थित रहे.
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि भाजपा सोशल इंजीनियरिंग में विश्वास करती है. इसलिए सब वर्ग के लोगों को संवैधानिक पदों पर बैठाना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच है सबको उनका समर्थन करना चाहिए. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि सारे भारत के लोग और खासकर आदिवासी, जनजाति समाज के लोग गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं कि एक आदिवासी, जनजाति महिला को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है. आज़ादी के लंबे कालखंड के बाद ऐसा अभूतपूर्व फैसला हुआ है.
(उपरोक्त लेखक के निजि विचार हैं….!!)