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गोरखपुर में खुलेगा ड्राई पोर्ट, सदर सांसद रवि किशन की पहल पर सरकार ने दिया आदेश

गोरखपुर समेत आस-पास के दस जिलों में उद्योग-व्यापार को अब और गति मिलेगी। सदर सांसद रवि किशन की पहल पर केंद्र सरकार ने गोरखपुर में ड्राई पोर्ट खोलने के लिए अधिकारियों को जमीन का सर्वे करने का निर्देश दिया है।

ड्राई पोर्ट खुलने से गोरखपुर व आस-पास के दस जिलों के उत्पादों के निर्यात के साथ-साथ नेपाल को होने वाली 120 वस्तुओं के निर्यात में सुगमता आएगी। सांसद के मुताबिक ड्राई पोर्ट शीघ्र खोलने जाने को लेकर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और रेल मंत्री को पत्र लिखकर अनुरोध किया गया है।

गोरखपुर में ड्राई पोर्ट खुलने से गोरखपुर समेत दस जिलों में ओडीओपी के अंतर्गत वस्तुओं, रेडीमेड गारमेन्ट, काला नमक चावल, फल ,सब्जियों डेरी प्रोडक्ट, के साथ ही निषाद समाज के लोगों को मछलियों के आयात व निर्यात में सुविधा मिलेगी। इस सुविधा के बाद विदेशों में उत्पाद भेजने में कम समय लगेगा। पोर्ट पर जांच के बाद कंटेनरों को सील करने में समय की बचत होगी। कस्टम संबंधी कागजात भी तैयार करने में आसानी होगी।

क्या है ड्राई पोर्ट

यह ऐसे राज्यों में बनाया जाता है जिनकी सीमाएं समुद्र से नहीं लगती हैं। निर्यात को और प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए केंद्र सरकार की देशभर में नए ड्राई पोर्ट बनाने की योजना है। ड्राई पोर्ट को मल्टी मॉडल लाजिस्टिक केंद्र भी कहा जाता है। यह रेल या सड़क मार्ग द्वारा किसी बंदरगाह से जुड़ा होता है। यह आयात-निर्यात होने वाले माल के परिवहन में एक ट्रांसशिपमेंट के रूप में कार्य करता है। इसे ड्राई पोर्ट इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि यह पोर्ट जैसी ही सेवाएं प्रदान करता है। डाई पोर्ट समुद्र के करीब नहीं होता। डाई पोर्ट में कंटेनर यार्ड, गोदाम, रेलवे साइडिंग व कार्गो हैंडलिंग उपकरण और आयात-निर्यात मंजूरी के लिए प्रशासनिक कार्यालय भी बनाए जाते हैं।

जांच के बाद सीधे भेजा जाएगा सामान

ड्राई पोर्ट बनने से जांच के बाद कंटेनर इन पोर्ट्स में ही सील किए जाएंगे। फिर उन्हें रेल, सड़क या वायुमार्ग से निर्यात के लिए सीधे भेजा जा सकेगा। प्रदेश से कृषि, ड्राई फ्रूट, फलों और अन्य उत्पाद निर्यात किए जाते हैं। प्रदेश से सामान भेजने के बाद बंदरगाह पर जांच के बाद कंटेनर सील किए जाते हैं। इसमें समय लगता है। सामानों के खराब होने पर खुर्द-बुर्द होने की आशंका भी रहती है। कंटेनर सील होकर बंदरगाह पहुंचेंगे तो ऐसा खतरा नहीं रहेगा। डिलीवरी टाइम भी घटेगा। कस्टम और निर्यात संबंधी कागजात भी इन्हीं ड्राई पोर्ट पर तैयार किए जा सकेंगे।

रिपोर्ट-रंजीत जायसवाल

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