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डीजल मूल्य में बढ़ोत्तरी के कारण किसान खेती में मंहगी लागत झेलने को मजबूर- रामाशीष राय

लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने अब तक सभी चीनी मिलों के चालू न होने पर आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार अपने किसान विरोधी रवैये के कारण सदैव उद्योगपतियों के दबाव में रहकर प्रत्येक निर्णय करती है। उन्होंने कहा कि अभी भी कुछ चीनी मिलों पर पिछले सत्र का गन्ना मूल्य बकाया है और नया सत्र प्रारम्भ हो चुका है। अब तक मिलों के चालू न होने से किसानों के खेत खाली नहीं हो पा रहे हैं और गेहूँ की बुवाई पिछड़ रही है और इसका खामियाजा किसानों को ही भुगतना पड़ेगा।

श्री राय ने कहा कि एक वर्ष में किसानों को डीज़ल की मूल्य बढ़ोत्तरी के कारण सिंचाई की मंहगी लागत झेलने के साथ साथ खाद और बीज के लिए भी अधिक कीमत चुकानी पड़ी है। परन्तु सरकार ने गन्ना किसानों के हित में समर्थन मूल्य भी घोषित नहीं किया है जो किसान विरोधी होने का पुख्ता प्रमाण है। उन्होंने कहा कि यह सरकार लघु और सीमांत #किसानों को साल में 06 हजार सम्मान निधि देकर उनसे डीजल, रसोई गैस, अन्य आवश्यक वस्तुओं की बढ़ी हुई कीमतों के साथ साथ बिजली मूल्य के रूप में 18 हजार प्रति वर्ष वसूली करती है।

रालोद प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सरकार अपनी किसान विरोधी हठधर्मिता को छोडे़ और तत्काल बन्द चीनी मिलों को चालू कराये साथ ही गन्ने का समर्थन मूल्य भी कम से कम 100 कुन्तल की बढ़ोतरी के साथ घोषित करे ताकि किसानों के आंसू पुछ सकें और वे भी अपने बच्चों की फीस तथा अन्य देयो का भुगतान कर सकें।

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