कोरोना संकट काल में भी मध्याह्न भोजन योजना के क्रियान्वयन में छत्तीसगढ़ देश में अव्वल रहा है. छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के दौरान 90 प्रतिशत से अधिक बच्चों को मिड डे मील का लाभ मिला, जबकि इस दौरान अन्य राज्यों में मिड डे मील वितरण की स्थिति काफी खराब रही.
ऑक्सफैम इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार स्कूल बंद होने से देश के 27 करोड़ बच्चे प्रभावित हुए हैं, जबकि नेशनल फूड सिक्यूरिटी एक्ट 2013 के तहत मिड डे मील प्रत्येक बच्चे का अधिकार है. लोकसभा में विगत 14 सितंबर को एक प्रश्न के उत्तर में केन्द्र सरकार ने यह माना कि मध्याह्न भोजन योजना के लाभ से बहुत से बच्चों को वंचित रहना पड़ा.
ऑक्सफैम इंडिया के सर्वेक्षण में छत्तीसगढ़ का देश में सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा है. छत्तीसगढ़ में 90 प्रतिशत से अधिक बच्चों को मिड डे मील का लाभ मिला है, जबकि उत्तर प्रदेश में 92 प्रतिशत बच्चे मिड डे मील से वंचित रहे. सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि उत्तर प्रदेश में जहां खाद्यान्न सुरक्षा भत्ता प्रदान करने पर ध्यान केन्द्रित किया गया, वहीं छत्तीसगढ़ में राशन की होम डिलिवरी पर ध्यान केन्द्रित किया गया.
लॉकडाउन के दौरान पिछले मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में स्कूलों के बंद होने के बीच मिड डे मील की आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे. छत्तीसगढ़ ने इस दिशा में तत्काल कदम उठाते हुए स्कूली बच्चों को स्कूलों और बच्चों के घरों तक पहुंचाकर मिड डे मील उपलब्ध कराने के इंतजाम किए.