अयोध्या, (जय प्रकाश सिंह)। डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र एवं ग्रामीण विकास विभाग में पीएम उषा के साॅफ्ट कॉम्पोनेंट्स योजना के अन्तर्गत पर्यावरणीय अर्थशास्त्र विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन मुख्य वक्ता लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो मनोज कुमार अग्रवाल ने अर्थशास्त्र में पर्यावरण के मुद्दे विषय पर व्याख्यान दिया।
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उन्होंने कहा कि भारत पूरी दुनिया की अर्थव्यवथा में प्रमुख स्थान रखता है। इसलिए भारतीय अर्थव्यवस्था को मिश्रित अर्थव्यवस्था कहा जाता है। उन्होंने पर्यावरणीय अर्थशास्त्र से संबंधित कई मुद्दों की समालोचनात्मक करते हुए कहा कि पर्यावरणीय क्षति के लिए पश्चिमी मॉडल अधिक जिम्मेदार है। इसकी संरक्षा के लिए अर्थशास्त्रियों को नीतियां बनानी होगी। इसके अतिरिक्त उन्होंने पर्यावरण के मानव एवं अन्य प्रजातियों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों एवं उपायों पर चर्चा की।
कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कला एवं मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो आशुतोष सिन्हा ने कहा कि पर्यावरणीय अर्थशास्त्र को समझने की जरूरत है। यह आर्थिक रूप से समस्याओं के समाधान में मदद करता है।
पर्यावरण की रक्षा के लिए नीतियां बनाने की आवश्कता है। इस कार्यशाला के तकनीकी सत्र में पर्यावरण विज्ञान के प्रो सिद्धार्थ शुक्ला ने जलवायु परिवर्तन के सामान्य परिसंचरण पर जोर दिया।
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इसी क्रम में अर्थशास्त्र ग्रामीण विकास विभाग के प्रो विनोद कुमार श्रीवास्तव ने पर्यावरणीय अर्थशास्त्र के व्यावहारिक पहलू पर चर्चा की। कार्यशाला की सहसंयोजक प्रो मृदुला मिश्रा ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रिया कुमारी द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ अलका श्रीवास्तव ने किया। इस अवसर पर डाॅ अवध नारायण, डॉ मीनू वर्मा सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं एवं शोधार्थी मौजूद रहे।