समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच आखिर उस फार्मूले से बातचीत बनी, जिसके आधार पर जून में पहली बैठक हुई थी। यह महत्वपूर्ण आधार था कि अगर जरूरत पड़ी तो गठबंधन के लिए एक पांव पीछे भी किया जाएगा।
आखिरकार काफी मशक्कत के बाद ‘एक पांव’ वाले फॉर्मूले के साथ समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों के लिए समझौता कर लिया। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच हुए समझौते से उत्तर प्रदेश में न सिर्फ ‘INDIA’ मजबूत हुआ है, बल्कि छिटके और कमजोर हुए गठबंधन की गांठ के मजबूत होने के आसार बढ़ गए हैं।
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समाजवादी पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो अखिलेश यादव जल्द ही अब पश्चिम बंगाल में टूटे कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के गठबंधन को फिर से जोड़ने की कवायद करेंगे। जबकि राज्यसभा के चुनावों के बाद अखिलेश, राहुल और प्रियंका उत्तर प्रदेश में एक मंच साझा करने वाले हैं।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ कांग्रेस के हुए गठबंधन से अब बिखरे हुए INDIA गठबंधन समूह को मजबूती की उम्मीद नजर आने लगी है। दरअसल यह उम्मीद अखिलेश यादव के साथ हुए समझौते से और ज्यादा मजबूत हुई है।
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दरअसल, सियासी गलियारों अब कहा यही जा रहा है कि अखिलेश यादव के गठबंधन से जुड़ने पर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस फिर से गठबंधन के साथ आ सकती है। दरअसल ममता बनर्जी और अखिलेश यादव की मजबूत बॉन्डिंग के चलते इस तरीके के कयास लगाए जा रहे हैं। समाजवादी पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो अखिलेश यादव जल्द ही ममता बनर्जी से बातचीत करने वाले हैं।
जिसमें वह गठबंधन को मजबूत करने और वापस ‘INDIA’ से जुड़ने पर ममता बनर्जी को राजी कर सकते हैं। समाजवादी पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ पदाधिकारी बताते हैं कि अब जब कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का समझौता हो चुका है तो ऐसे में गठबंधन के उन सभी दलों को एकजुट होकर चुनाव लड़ना चाहिए। इस प्रयास में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।