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विश्व गुरू बनाने में सहायक शिक्षा नीति

राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल नई शिक्षा नीति के प्रति शिक्षाविदों व संस्थानों को सतत जागरूक कर रही है। उनका ध्यान नई शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन पर है। इसके माध्यम से विद्यार्थियों की प्रतिभा का विकास होगा। इसकल लाभ देश व समाज को मिलेगा। भारत को शक्तिशाली व आत्मनिर्भर बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा। आनन्दी बेन ने कहा कि नई शिक्षा नीति की संकल्पना भारत को स्वदेशी ज्ञान और तकनीेक के आधार पर विश्व गुरू बनाने में सहायक होगी। भारतीय ज्ञान शक्ति सेे आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होगा। बजट में केन्द्र सरकार ने शिक्षा पर फोकस किया है।

नई शिक्षा नीति इस दिशा में बढ़ाया गया एक अति महत्वपूर्ण कदम है। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा और शोध की गुणवत्ता बढ़ाई जाय। इसके लिए केजी से लेकर पीजी तक के पाठ्यक्रमों एवं आधारभूत ढांचे में बदलाव की आवश्यकता है। वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम मानव संसाधन तैयार करने की आवश्यकता है। आनंदीबेन पटेल ने जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय,बलिया के द्वितीय दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। इसके अलावा उन्होंने विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की।

बना रहे विद्यार्थी भाव

कहा जाता है कि व्यक्ति आजीवन कुछ न कुछ सीखता रहता है। इसके प्रति जिज्ञाषा भी होनी चाहिए। लेकिन यह तभी जब व्यक्ति में विद्यार्थी जैसी सीखने की लालसा हो। कुलाधिपति ने कहा कि दीक्षांत शिक्षा के अंत का समारोह ही नहीं है, बल्कि यही से विद्यार्थी के जिन्दगी की कसौटी शुरू होती है। विद्यार्थी भविष्य की कठिनाइयों का सामना सफलतापूर्वक तभी कर पायेंगे,जब अपने भीतर के विद्यार्थी भाव को सोने नहीं देंगे। जीवन में सफलता का मूलमंत्र कठिन परिश्रम है। सफलता की सीढ़ी कठिन परिश्रम से ही बनती है।

समृद्ध सांस्कृतिक विरासत

आनन्दी बेन ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थाएं शिक्षा में नवीनता और आधुनिकता का ध्यान रखें। अपनी सांस्कृतिक विरासत,समृद्ध परम्पराओं एवं शाश्वत मूल्यों की निधि को भी विस्मृत न करें। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में वृद्धि के लिए विश्वविद्यालय और महाविद्यालय में उचित आधारभूत संरचना और वांछित संख्या में स्तरीय शिक्षक होने चाहिए।

राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय को स्वायत्ता प्राप्त हो, परंतु उत्तरदायित्व भी निश्चित हो, जिससे पारदर्शिता बनी रहे और सही दिशा में विकास के साथ विश्वविद्यालय विश्व क्षितिज पर पहचान बनायें। विश्वविद्यालयों कोे शैक्षणिक कार्य के साथ साथ सामाजिक कार्यों में भी सहभागिता करनी चाहिए। आनन्दी बेन ने विश्वविद्यालय की स्मारिका‘मंथन‘, ‘अन्वीक्षण‘ तथा दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ की पुस्तक विचार प्रवाह का लोकार्पण किया। प्राथमिक विद्यालयों के पचास छात्र छात्राओं को पुस्तकें,टिफिन,बाॅक्स, किताबें फल एवं मिठाई वितरित की।

 

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