भारत में एक नई प्रजाति का मशरूम मिला है. जिसे देख कर हर कोई हैरान है. वैज्ञानिकों ने रोरिडोमाइसेस फाइलोस्टैचिडिस नाम दिया है. इसे सबसे पहले मेघालय के ईस्ट खाली हिल्स जिले के मॉवलीनॉन्ग में एक जलस्रोत के पास देखा गया था. इसके बाद यह वेस्ट जंतिया हिल्स के क्रांग सुरी में भी दिखाई दिया.
बताया जा रहा है कि इसे भारतीय और चीनी वैज्ञानिकों के एक समूह ने खोजा है. रात के अंधेरे में बारिश के बीच जब साइंटिस्ट मेघालय के जंतिया हिल्स और खासी हिल्स के जंगलों में पहुंचे तो इन चमकते हुए मशरूम्स को देख कर हैरान रह गए. ऐसे मशरूम्स को बायो-ल्यूमिनिसेंट मशरूम कहते हैं. रात के अंधेरे में यह हल्के नीले-हरे और बैंगनी रंग में चमकता दिखाई दिया है. रात में चमकने वाले ये मशरूम्स दिन में साधारण मशरूम की तरह दिखते हैं.
वन्य जीव विशेषज्ञ गौतम बरुआ कहते हैं मशरूम की इस प्रजाति को रोरिडोमाइसेस फाइलोस्टैचिडिस कहते हैं जो रात में हल्की रोशनी छोड़ता है. यह मशरूम रात में रोशनी इसलिए छोड़ता है ताकि इसपर मौजूद बीजाणु कीड़ों के जरिए जंगल में अन्य जगहों पर फैल जाएं और इस मशरूम की तादात बढ़े. मेघालय में ये मशरूम बांस के जंगलों में बांस की जड़ों के पास उगते हैं.
वैज्ञानिको का कहना है कि रोशनी छोड़ने वाले ये मशरूम अपनी आबादी को बढ़ाने के लिए कीड़ों द्वारा जंगलों में फैलते हैं. इससे वे पौधों की छाल, तने, जमीन, से नमी लेकर पनपते हैं. यह एक खास प्रकार का कवक होता है. अब तक रोशनी छोड़ने वाले मशरूम्स की 97 प्रजातियों का पता चला है. इन्हें जंगल में पनपने के लिए पर्याप्त नमी की जरूरत होती है. साथ ही तापमान 21 डिग्री सेल्सियस से 27 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. मेघालय, केरल और गोवा में इनकी तादाद बारिश के मौसम में काफी ज्यादा बढ़ जाती है.